परिवार से बिछड़े और बेघरों का आसरा बना नप का आश्रयकेंद्र

NPs shelter became a shelter for the homeless and separated from the family
परिवार से बिछड़े और बेघरों का आसरा बना नप का आश्रयकेंद्र
गोंदिया परिवार से बिछड़े और बेघरों का आसरा बना नप का आश्रयकेंद्र

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। नप के आश्रयकेंद्र की चर्चा आम हो चुकी है। विगत चार वर्षों से आश्रयकेंद्र को नप कर्मियों द्वारा चलाया जा रहा है। सार्वजनिक स्थलों पर कठिन हालात में जीवन गुजारनेवाले, परिवार से बिछड़े तथा अनाथों को आसरा देने का कार्य नप द्वारा किया जा रहा है। मंगलवार, 26 अप्रैल को जिला पुलिस उपअधीक्षक ठोसरे, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेघरों से विविध विषयों पर चर्चा की। साथ ही उनका हालचाल जाना। इतना ही नहीं नप के कार्यों की भरसक प्रशंसा की गई। इस संदर्भ में कर्मियों ने बताया कि आश्रयकेंद्र में बेघरों के साथ ही अपंग और मतिमंदों को भी आसरा दिया गया है। बेघरों के भोजन, रहने और चिकित्सा की जिम्मेदारी नप के आश्रयकेंद्र ने लिया है। जो शहर में इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां बता दें कि शहर के सार्वजनिक स्थल, रेलवे स्थानक, बसस्थानक, फुटपाथ, उड़ानपुल के नीचे खुली जगह पर अनेक बेघर कठिन परिस्थित में जीवन गुजार रहे हैं। उन बेघरों को पिछले चार वर्षों से नप के सिविल लाइन स्थित आश्रयकेंद्र में आसरा दिया जा रहा है। बेघरों की देखरेख, भोजन तथा ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था नप कर्मियों द्वारा की जा रही है। इस कार्य में सामाजिक कार्यकर्ता, संगठनों का काफी योगदान रहा है। आश्रयकेंद्र में अधिकांश बेघर परिवार की शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना से तंग होने से घरों को छोड़ दिया है। जिनमें अपंग, मतिमंद और अनाथ भी शामिल है। वर्तमान में नप के आश्रय केंद्र में करीब 28 लोगों ने आसरा लिया है। बेघरों के खुशहाल जीवन के लिए दानदाता, सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय संगठनों द्वारा जीवनावश्यक भेंट वस्तुओं को दिया गया है। इतना ही नहीं आश्रय केंद्र कर्मियों द्वारा मृत दो बेघरों का विधिविधान से अंतिम संस्कार किया गया है। उसी तरह स्वास्थ्य चिकित्सा के तहत दो बेघरों का ऑपरेशन कर मानवता की मिसाल कायम की है। बताया जाता है कि हाल ही में पुलिस उपअधीक्षक दिनकर ठोसरे व पूणा के सामाजिक कार्यकर्ता नामदेव भोसले ने आश्रयकेंद्र को आकस्मिक भेंट दी। कार्यरत कर्मियों से पूछताछ कर बेघरों से चर्चा की गयी। बेघरों को खुशहाल देख मदद के लिए आश्वासन देने की बात कर नप के कार्यों की प्रशंसा की गयी। आश्रयकेंद्र को नप मुख्याधिकारी करणकुमार चौहान, उपमुख्याधिकारी विशाल बनकर, व्यवस्थापक धनराज बनकर, सुनंदा बिसेन तथा कर्मियों की मदद पिछले चार वर्ष से सकुशल चलाया जा रहा है। 

बेघरों को मिला आश्रय  

आश्रयकेंद्र में 28 बेघरों को आसरा दिया गया है। स्वच्छ पानी, गादी, चादर, कपड़े व भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। दो बेघर वृद्ध मृतकों का अंतिम संस्कार कार्यक्रम आश्रय कर्मियों द्वारा किया गया है। उसी तरह दो लाभार्थियों की शल्य चिकित्सा की गयी है। बेघरों को योगाभ्यास, रोजगार से संबंधी मार्गदर्शन किया जा रहा है। 

- धनराज बनकर, व्यवस्थापक, आश्रय केंद्र नप गोंदिया


 

Created On :   28 April 2022 7:25 PM IST

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