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एक साल लेट चल रहा रेल का नीर बॉटलिंग प्लांट, इस बात से अटका काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मध्य रेलवे नागपुर मंडल अंतर्गत आईआरसीटीसी के माध्यम से बननेवाला रेल नीर बॉटलिंग प्लांट अक्टूबर 2018 में तैयार होना था, लेकिन वह अभी तक साकार नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि कतिपय उपकरणों के न होने से इसे साकार नहीं किया जा सका है। हालांकि संबंधित अधिकारियों के अनुसार, हाल ही में इसका ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने सफल परीक्षण किया है और मार्च में इसे बना लिया जाएगा। इस प्लांट में दिल्ली से लाई गई कई मशीनों के अलावा विदेशी मशीनें भी हैं। जर्मनी से लाई यहां बड़ी मशीनें पानी को साफ करने के साथ बोतल बंद करने का काम करेंगी। अब तक बिलासपुर से पानी बोतल आने से रेल नीर केवल नागपुर स्टेशन को ही मिलता था, लेकिन अब नागपुर के साथ सेवाग्राम, वर्धा, चंद्रपुर, बल्लारशाह, बैतुल, घोड़ाडोंगरी, आमला के अलावा बी व ई कैटेगरी के स्टेशनों को भी मिल सकेगा।
नागपुर स्टेशन पर रोजाना 30 हजार से ज्यादा यात्रियों का आवागमन होता है। यहां केवल रेल नीर ही उपलब्ध है। अधिकृत आंकड़े के अनुसार प्रति दिन यहां 700 पानी पेटियां लग जाती हैं। एक पेटी में 1 लीटर के 24 बोतल रहते हैं। वहीं ग्रीष्म में इसकी मांग दोगुनी हो जाती है। चूंकि नागपुर स्टेशन पर केवल रेल नीर ही अधिकृत है, ऐसे में दोगुनी मांग बढ़ते ही पानी की कमी पड़ जाती है। बिलासपुर से पानी मंगाने से कई बार आपूर्ति का संतुलन बिगड़ जाता है और तब अवैध वेंडर निजी पानी बोतलों की कीमतें बढ़ाकर बेचने लगते हैं। यात्रियों को मजबूरी में खरीदना भी पड़ता है। प्लांट निर्माण के बाद यह परेशानी सामने नहीं आएगी। उपरोक्त प्लांट का मुख्य उद्देश्य नागपुर विभाग को जलापूर्ति करने की है।
वर्ष 2013-14 में तत्कालीन रेलवे मंत्री पवन बंसल ने नागपुर मंडल अंतर्गत अजनी स्टेशन पर नीर वॉटर प्लांट लगाने की घोषणा की थी। 8 करोड़ लागत के इस प्लांट की प्रतिदिन 72 हजार लीटर पानी पैक करने की क्षमता बताई गई थी। वर्ष 2017 अक्टूबर में ही इसे बनना था, लेकिन किसी कारणवश यह नहीं बन पाया। इसके बाद वर्ष 2018 के अक्टूबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। आईआरसीटीसी ने काम लगभग पूरा भी कर दिया था, लेकिन ऐन वक्त पर कुछ उपकरणों की कमी के कारण अब तक इसे साकार नहीं किया जा सका है।
मार्च में होगा शुरू
आईआरसीटीसी वेस्ट जोन जीजीएम अरविंद मालखेडे के मुताबिक कुछ उपकरणों की कमी के कारण नीर प्लांट अक्टूबर में नहीं बन सका, लेकिन अब बीआईएस ने भी इसका सफल परीक्षण किया है। मार्च महीने में यह शुरू हो जाएगा।
महानगर में 95 उद्यान, इस साल इन पर खर्च हुए 1.17 करोड़, पर कहीं दिखता नहीं
हर क्षेत्र में विकास कार्य बहुत तेजी से चल रहे हैं, लेकिन इसका स्याह पक्ष भी अनेक स्थानों पर देखने को मिल जाता है। मनपा के 10 जोन में शहर अंतर्गत 95 उद्यान आते हैं। उनका कुल क्षेत्रफल 127.27 एकड़ है। इन उद्यानों पर महानगरपालिका करोड़ रुपए खर्च करती है, फिर भी रख-रखाव की उचित व्यवस्था नहीं। वर्ष 2018 में मनपा ने 1.17 करोड़ रुपए उद्यान विभाग पर खर्च किए हैं।
इन्हें नागपुरवासियों के टहलने और बच्चों के खेलने के लिए बनाया गया है, लेकिन ठीक से रख-रखाव न होने के कारण किसी में गेट तक नहीं बचा है। रात के अंधेरे में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां 4 उद्यानों की वास्तविक स्थिति को हम प्रस्तुत कर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे शहर के उद्यानों की स्थिति कैसी है। रेशमबाग उद्यान में शौचालय का दरवाजा टूटा पड़ा है। साफ-सफाई नहीं। महिला प्रसाधन के दरवाजे में भी ताला लगा हुआ है। चौकीदार के लिए यहां चौकी बनी हुई थी, लेकिन यह कह कर तोड़ दी गई कि नई चौकी बनेगी, पर पिछले एक साल से चौकी बनने का कोई काम नहीं हो पाया है।
चंदन नगर क्षेत्र का यह उद्यान पूरी तरह असुरक्षित है। शिफ्ट के हिसाब से 24 घंटे में 3 चौकीदार रहने चाहिए, लेकिन एक ही चौकीदार है। वह भी सिर्फ ताला खोलने और ताला लगाने के लिए आता है। स्ट्रीट लाइट बंद रहती है। शाम होते ही असामाजिक तत्व पहुंच जाते हैं।
यहां भी कोई चौकीदार नहीं है। इसके अलावा यहां टाइल्स फूटी और निकली हुई है। साफ-सफाई पर्याप्त नहीं है। पानी के बीच में होने के बाद भी उद्यान में वाटर फाउंटेन खराब है। यहां आने वालों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मोक्षधाम उद्यान का मुख्य द्वार केवल महाशिवरात्रि को ही खुलता है, जब यहां मेला लगता है। उद्यान में जाने के लिए दूसरा रास्ता मोक्षधाम से होकर गुजरता है। यहां काम कर रही महिला मजदूर ने बताया कि कोई चौकीदार नहीं होने से लोग वाहन सहित अंदर आ जाते थे। इसलिए यह द्वार बंद रखा जाता है।
Created On :   17 Jan 2019 5:44 PM IST