विवाह की उम्र विषय पर चर्चा-सत्र में विशेषज्ञों की एक राय- विकास के लिए यह जरूरी

Opinion of experts in the discussion session on the age of marriage - it is necessary for development
विवाह की उम्र विषय पर चर्चा-सत्र में विशेषज्ञों की एक राय- विकास के लिए यह जरूरी
सौभाग्यवती विवाह की उम्र विषय पर चर्चा-सत्र में विशेषज्ञों की एक राय- विकास के लिए यह जरूरी

भास्कर संवाददाता. नागपुर. युवतियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ा कर 21 साल करने के कैबिनेट के प्रस्ताव पर सभी ने सहमति जताई।  मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक विकास के लिए जरूरी है कि युवतियों  की शादी की उम्र 18 से बढ़ा कर 21 वर्ष हो।  इससे वे अपनी तथा अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाने में भी सक्षम हो जाएंगी। 21 वर्ष की उम्र में युवतियां आर्थिक रूप से मजबूत हो पाएंगी, जिससे तलाक के आंकड़ों में भी कमी आएगी। उक्त  विचार दैनिक भास्कर के वुमन भास्कर क्लब द्वारा "सौभाग्यवती" विवाह की उम्र विषय पर आयोजित चर्चा-सत्र में अतिथियों ने व्यक्त किए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर दैनिक भास्कर कार्यालय (ग्रेट नाग रोड) में चर्चा-सत्र का आयोजन किया गया। प्रमुख अतिथि जिलाधिकारी विमला आर., विशेष अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस सुमेधा कटियार रहीं। प्रमुख वक्ता के रूप में न्यू ईरा हॉस्पिटल की डायरेक्टर  व ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना संचेती, भावे इंस्टीट्यूट अॉफ मेंटल हेल्थ की कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. नेहा भावे सालनकर तथा आदित्य अनघा मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड की वाइस चेयरपर्सन अनघा समीर सराफ उपस्थित थीं। इस अवसर पर दैनिक भास्कर के डायरेक्टर सुमित अग्रवाल, वुमन भास्कर क्लब की चेयरपर्सन नेहा अग्रवाल, वुमन भास्कर क्लब की अध्यक्ष मीना जैन आदि उपस्थित थीं। 

अपने देश में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ा कर 21 वर्ष करने की कवायद चल रही है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अभी देश में लड़कों की शादी की कानूनी उम्र 21 और लड़कियों की 18 साल है। सरकार मौजूदा कानून में संशोधन कर कानूनी उम्र को बढ़ाएगी। लंबे समय से देश में लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने की मांग होती रही है। अब सरकार की ताजा कवायद को लेकर सामाजिक स्वीकृति से जुड़े कई सवालों पर दैनिक भास्कर कार्यालय में एक चर्चा-सत्र के माध्यम से गहन मंथन किया गया, जिसका आशय निकला-21 ही सही है

नए प्रस्ताव को लेकर जया जेटली की अध्यक्षता में बने नीति आयोग के टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी। वीके पाल भी इस टास्क फोर्स के सदस्य थे। टास्क फोर्स का गठन ‘मातृत्व की आयु से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने की अनिवार्यता, पोषण स्तर में सुधार और संबंधित मुद्दों’ में सुधार के लिए किया गया था। टास्क फोर्स ने यह भी सिफारिश की कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के कानूनी निर्णय की सामाजिक स्वीकृति को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, चर्चा-सत्र में उपस्थित अतिथियों व वक्ताओं का भी यही मत रहा।

शारीरिक और भावनात्मक विकास होना आवश्यक

18 वर्ष में युवतियों की शादी के बाद उनकी मानसिक स्थिति को समझना जरूरी है। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन से इसे आसानी से समझा जा सकता है कि ब्रेन डेवलपमेंट, फिजिकल ग्रोथ, इमोशनल मैच्योरिटी, एजुकेशन और इफेक्ट ऑन चिल्ड्रन होना जरूरी है। 20 से 21 वर्ष की उम्र के बाद ही ब्रेन डेवलप होता है। इसलिए विवाह के लिए ब्रेन का सक्षम भी होना जरूरी है। बौद्धिक के साथ शारीरिक और भावनात्मक विकास होना आवश्यक है, जो कि 20-21 वर्ष की उम्र में होता है। शिक्षा के बिना हर कोई जीराे है। शिक्षा से जागरूकता आती है। 21 वर्ष की उम्र में युवतियां ग्रेजुएट हो जाती हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से भी मजबूत हो सकती हैं। इफेक्ट ऑन चिल्ड्रन की समझ भी जरूरी है। कम उम्र में प्रेग्नेंसी होने से मां और बच्चे दोनों को खतरा होता है। बच्चे को स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की समस्याएं आती हैं। 

डॉ. नेहा भावे सालनकर, कंसल्टेंट मनोचिकित्सक, भावे इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ 

स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर

कम उम्र में लड़कियों की शादी से उनकी सेहत के साथ होने वाले बच्चे की सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। 18 साल से कम उम्र में शादी होने से गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान कई स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ने का खतरा होता है। इससे मां के साथ नवजात की जान जाने का खतरा होता है। अस्पताल में कई बार ऐसे मामले देखने में आए हैं। इसके बाद वह डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। साथ ही कम उम्र में शादी होने से सामाजिक बाध्यता बढ़ जाती है एवं किशोरावस्था में ही मां बनने पर मजबूर होना पड़ता है।  इसलिए लड़कियों की विवाह की उम्र 21 होने चाहिए, ताकि वह शारीरिक रूप से परिपक्व हो जाएं। अगर ऐसा हो जाता है, तो जनसंख्या भी नियंत्रण में होगी।  

डॉ. अर्चना संचेती, डायरेक्टर व ओब्स्टेट्रिशियन एंड  गायनेकोलॉजिस्ट, न्यू ईरा हॉस्पिटल 

हमारे यहां ‘मत कर’ संस्कृति पलती है

हमारे समाज की यह बहुत बड़ी विडंबना है कि यहां ‘मत कर’ संस्कृति पलती है। यानी, जब भी बच्चियों के लिए कोई बात अाती है, तो उसमें मत यानी नहीं करना पहले कहा जाता है। युवतियों की विवाह की उम्र 18 से बढ़ा कर 21 की जाए, यह बात यहां पर खत्म नहीं होती, बल्कि यहां से शुुरू होती है। इसके लिए शिक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है। मानसिक सोच बदलने की सबसे पहले आवश्यकता है। बच्चियों की सुरक्षा के लिए उन्हें सेल्फ डिफेंस सिखाने की आवश्यकता है। बच्चियों की शादी कम उम्र में इसलिए कर दी जाती है कि वे सुरक्षित नहीं हैं, तो यह कहां का न्याय है। 

सुमेधा कटियार, सेवानिवृत्त आईएएस 

प्रॉपर एजुकेशन लें

ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों का एजुकेशन कम होने से उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते हैं। कम शिक्षित होने के कारण अभिभावक उनका विवाह करना उचित समझते हैं। इसलिए मेरा अनुरोध है कि प्रॉपर एजुकेशन लेना चाहिए। यह बात देखने में आई है कि कई महिलाएं आज भी घर से बाहर निकलने में हिचकिचाती हैं। ऐसी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि घर से बाहर निकलकर ओपनली सभी चीजें फेस करें। 

अनघा समीर सराफ, वाइस चेयरपर्सन, आदित्य 

अनघा मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड
 

 

Created On :   8 March 2022 5:24 PM IST

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