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सच्चे आदिवासी अब भी जंगलों की खाक छानते फिर रहे, न्याय दिलाने निकाला मोर्चा

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। गोंडवाना भूमि के सभी मूलनिवासी आदिवासी समूह को सत्ताधारियों की गलत नीति व षडयंत्र से अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आदिवासियों के नाम पर कुछ अगड़ी जातियों ने अपना भला कर लिया। वहीं सच्चा आदिवासी अब भी जंगलों की खाक छानते फिर रहा है। इसी के चलते फर्जी आदिवासी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का ईमानदारी से पालन करने व अन्य मांगों को लेकर आदिवासियों का संयुक्त जंगोम एल्गार मोर्चा जिलाधिकारी कार्यालय पर जा धमका। हाल के वर्ष का यह सबसे बड़ा मोर्चा था, जिससे प्रशासन सकते में आ गया।
जानकारी के अनुसार महाकाली मंदिर से निकला यह मोर्चा अंचलेश्वर मार्ग, कस्तूरबा चौक, गांधी चौक होते हुए मुख्य मार्ग से जटपुरा गेट होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। विविध घोषणा व सरकार विरोधी नारों की गूंज में इस ऐतिहासिक मोर्चा ने कलेक्ट्रेट पर दस्तक दी। यहां एक विराट सभा हुई। वरिष्ठ आदिवासी नेता अवचितराव सयाम ने इस मोर्चे को मुख्य रूप से संबोधित किया। धनगर जाति के आरक्षण का मुद्दा, माना जाति को अनुसूचित जनजाति की दी जा रही सहुलियतें, हलबा-कोष्टी के साथ अन्य बोगस जातियों को अनुसूचित जनजातियों में शामिल करने का षडयंत्र आदि कई पहलुओं पर सयाम ने तिखे प्रहार किए।
सरकार व नेताओं की ओर से बोगस आदिवासिसों को दिए जा रहे सुरक्षा का विरोध भी इस समय किया गया। मूल रूप से आदिवासी समुदाय को इस कारण से पिछड़ने की नौबत आ गई है। सच्चा आदिवासी अब भी जंगलों की खाक छानता फिर रहा है। हर तरह से वह अविकसित व मुख्य धारा से और अधिक वंचित होता जा रहा है। अपने संवैधानिक अधिकारों से तक वंचित है समुदाय। अब यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जा सकता इसलिए यह जंगोम मोर्चा होने की बात भी कही गयी। इस समय दशरथ मडावी, दिनेश मडावी, गोदरु पाटील जुमनाके, मनोज आत्राम, प्रमोद बोरीकर, बापुराव मडावी, भीमराव मडावी, झिंगु कुमरे, दिनेश कुलमेथे, नंदू कोटनाके, धीरज शेडमाके, कृष्णा मसराम, भारत आत्राम, रंजना कनाके आदि के साथ हजारों आदिवासी बंधु उपस्थित थे।
Created On :   25 Dec 2018 3:07 PM IST