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लोग गरीबी का मजाक उड़ाते थे, तभी ठाना कुछ बनकर दिखाऊंगी

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने साझा किए अपने जीवन के कुछ अनछुए पहलू
डिजिटलय डेस्क छिंदवाड़ा । पिताजी की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मुझे अच्छे कपड़े खरीद कर देते। मुझे मात्र दो जोड़ी कपड़ों में काम चलाना पड़ता था। मैंने सोचा कि कुछ ऐसे काम करूं जिसमें मुझे कुछ पैसे मिलें। शुरुआत में सेल्समैन का काम किया। इंश्योरेंस कंपनी में एजेंट बनकर मैं अपना खर्च चलाने लगी। कभी-कभी लोग मजाक भी उड़ाते थे। उसी समय मैंने ठान लिया कि एक दिन जरूर इनको कुछ बनकर दिखाऊंगी। मगर क्या बनूंगी, ये मुझे पता नहीं था।
दैनिक भास्कर से विशेष साक्षात्कार में छिंदवाड़ा की बेटी और छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने अपने जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर खुले मन से चर्चा की।
प्रश्न - जब आप पढ़ती थीं, तब बाकी विद्यार्थियों और शिक्षकों का बर्ताव आपके प्रति कैसा था?
उत्तर - प्राइमरी स्कूल तक मेरी पढऩे में ज्यादा रुचि नहीं थी। मुझे शरारत करना और लड़कों के खेल पसंद थे। जब मिडिल स्कूल पहुंची, तो सातवीं कक्षा में फेल हो गई। मैंने पिता से जिद करके कापी की पुन: जांच कराई। मुझे दो विषय में सप्लीमेंट्री आई। पुन: परीक्षा दी लेकिन सफलता नहीं मिली। मैंने तभी ठान लिया था कि आगे अच्छे नंबर से पास होकर दिखाऊंगी। आठवीं कक्षा में मेरिट अंक से पास हुई। यहां से मेरी जिंदगी में नया मोड़ आया। मेरी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा छिंदवाड़ा से 10 किमी. दूर स्थित रोहना कला गांव में हुई। यहां शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से जैसा सहयोग मिलना चाहिए था, नहीं मिला। हाईस्कूल की पढ़ाई छिंदवाड़ा में गल्र्स छात्रावास में रहकर महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल से की। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी होने के कारण सहपाठी लड़कियां मेरा मजाक भी उड़ाती थीं और मेरे प्रति उपेक्षा का भाव भी रखती थीं। इससे मुझे मानसिक पीड़ा भी होती थी। धीरे-धीरे मैंने कुछ ऐसी छात्राओं को अपना दोस्त बनाया जो मुझे समझती थीं। मेरे जीवन में यहीं से परिवर्तन शुरू हुआ।
प्रश्न - छात्रावस्था में आप भावी जीवन के बारे में क्या सोचती थीं?
उत्तर - महाविद्यालय में मैं छात्र-छात्राओं की मदद करती रहती थी, साथ ही समाज सेवा करने का जुनून जागा। रोट्रेक्ट क्लब, अभिनय संस्था, एनएसएस में रहकर काफी कुछ सीखने को मिला। मेरी लोकप्रियता धीरे-धीरे कॉलेज में बढ़ती गई। छात्रसंघ के चुनाव में भी सफलता मिली। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे शासकीय महाविद्यालय तामिया में व्याख्याता की नौकरी मिल गई। यहीं से मेरे सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हुई। वर्ष 1985 में पहली बार दमुआ से विधायक का चुनाव लड़ी और जीती।
प्रश्न - राजनीति, प्रशासनिक सेवा आदि में कदम रखते समय किसी भी महिला को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर - ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की स्थिति अब भी कमजोर है। मुख्य कारण है शिक्षा का स्तर कम होना और समाज का जागरूक न होना। मेरा आग्रह है कि अपनी बेटियों को पढ़ाएं और उच्च शिक्षा दें। जब एक बेटी आगे बढ़ती है तो पूरा परिवार आगे बढ़ता है और परिवार आगे बढ़ता है तो पूरा समाज और देश आगे बढ़ता है।
प्रश्न - बड़े दायित्व के कारण आपको कौन सी पसंदीदा चीजें छोडनी पड़ीं?
उत्तर - राज्यपाल पद का दायित्व संभालने के पश्चात भी जनंसपर्क में कमी नहीं आई है। मुझे दायित्व संभाले हुए करीब डेढ़ साल हुआ है। इस दौरान मैंने लगभग 10 हजार से अधिक लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना और समाधान करने का प्रयास किया।
प्रश्न -आप आदिवासी समाज से हैं, आपकी नजर में समाज की क्या स्थिति है और क्या चुनौतियां हैं?
उत्तर - आदिवासी समाज के सामने विभिन्न चुनौतियां हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, भौगोलिक परिस्थिति इत्यादि। पहली चुनौती भौगोलिक परिस्थिति की है। जहां वे निवास करते हैं, वे दूरस्थ स्थानों पर हैं। सामान्यत: मूलभूत सुविधाएं वहां नहीं पहुंच पातीं। केन्द्र और राज्य शासन के समन्वित प्रयासों से इन स्थानों पर सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रश्न -महिला अपराध की घटनाएं बढऩे के क्या कारण हंै?
उत्तर - मेरा मानना है कि इसका कारण कहीं न कहीं आधुनिकता की आड़ में अपने संस्कारों को भुला देना है। हमें अपने परिवार में अपने बच्चों में महिलाओं के प्रति सम्मान का दृष्टिकोण रोपित करना चाहिए। उन्हें यह अहसास दिलाएं कि बेटियां भी बराबरी का सम्मान पाने की हकदार हैं। बेटियों में भी आत्मविश्वास विकसित करें।
प्रश्न - छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या को हल करने में क्या दिक्कतें आ रही हैं?
उत्तर - यह एक या दो प्रदेश की नहीं बल्कि राष्ट्रव्यापी समस्या है। सरकार इससे निपटने कई स्तर पर काम कर रही है। भविष्य में जनजातीय क्षेत्रों के स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाज के प्रमुखों और उस क्षेत्र में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में नक्सल समस्या के कारणों तथा समाधानों के कार्यों पर चिंतन किया जाएगा ताकि समस्या का उपयुक्त और सही समाधान निकल सके।
प्रश्न -कुछ राज्यों में सरकारों और राज्यपाल के बीच तकरार की स्थिति को आप किस नजरिए से देखती हैं।
उत्तर - छत्तीसगढ़ में किसी प्रकार का संवैधानिक संकट नहीं है। चूंकि राज्यपाल एक संवैधानिक पद होता है। राज्यपाल को वही काम करना होता है, जो संविधान के प्रावधानों के अनुरूप होता है। कभी-कभी सरकार अपने हिसाब से कानूनों में संशोधन चाहती है। मगर राज्यपाल को देखना होता है कि केंद्र के कानून का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है? इन परिस्थितियों में राज्यपाल विधि विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही कोई निर्णय करता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी विलंब हो जाता है और लोग इसे राज्यपाल एवं सरकार में टकराव मान लेते हैं।
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