अब पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम (पेट) शीघ्र होगा अॉनलाइन, विदेशी शोधार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास

PET exam to be held online to increase the numbers of researchers
अब पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम (पेट) शीघ्र होगा अॉनलाइन, विदेशी शोधार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास
अब पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम (पेट) शीघ्र होगा अॉनलाइन, विदेशी शोधार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने विदेशी शोधार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए ऑनलाइन पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम(पेट) ऑनलाइन मोड में लेने का निर्णय लिया है। हालांकि इसके अंतिम स्वरूप पर मंथन होना अभी बाकी है। विदेशी विद्यार्थियों की मांग पर इस एग्जाम को आयोजित करने, इसकी प्रामाणिकता बरकरार रखने के लिए सुरक्षा फीचर शामिल करने से लेकर टॉफेल या अन्य एग्जाम्स की तर्ज पर इस परीक्षा का प्रारूप निर्धारित करने पर विचार किया जा रहा है।

नियमों में बदलाव 
बता दें कि नागपुर यूनिवर्सिटी द्वारा बीते वर्ष से ही पीएचडी के नियमों में बदलाव किया जा रहा है। पुरानी प्रवेश एग्जाम्स का प्रारूप बदल कर पेट-1 और पेट-2 पैटर्न लागू किया गया। वर्ष वर्ष 2016 में यूनिवर्सिटी ने नोटिफिकेशन जारी कर पूर्व में हुई सभी ‘पेट’ एग्जाम्स रद्द कर दिया, साथ ही घोषणा की है कि जिन स्टूडेंट्स ने पूर्व में ‘पेट’ एग्जाम्स पास की, ‘पेट’ एग्जाम से गुजरना होगा। मगर हाईकोर्ट के दखल के बाद यूनिवर्सिटी को यह फैसला पीछे लेना पड़ा। मगर अपने यहां से होने वाली पीएचडी की गुणवत्ता बढ़ाने की मंशा रखते हुए यूनिवर्सिटी ने प्रवेश एग्जाम नियमों को बेहद सख्त किया।

नतीजा हुआ है कि इस वर्ष हुई पेट-1 एग्जाम में कुल 280 अभ्यर्थी सफल हुए है। एग्जाम में 13.71 प्रतिशत परिणाम आया है। पेट-2 के बाद केवल 3.09 प्रतिशत अभ्यर्थी रिसर्च के लिए पात्र माने गए थे।   ऐसे में नियमों में लगातार होने वाले बदलाव के चलते इस वर्ष नागपुर विश्वविद्यालय में बेहद सीमित संख्या में पीएचडी रिसर्च शुरू हाेगी। 

सख्त नियमों से घटी संख्या
यूनिवर्सिटी प्रकुलगुरु डॉ.प्रमोद येवले के अनुसार, विदेशी शोधार्थियों को इस प्रकार की सुविधा देकर उन्हें नागपुर यूनिवर्सिटी प्रोत्साहित करने का प्रयास करेगा। बता दें कि बीते कुछ वर्षों में यूनिवर्सिटी ने अपने यहां पीएचडी के नियमों को सख्त किया है। खासकर पेट एग्जाम्स को दो चरणों में बांट कर इसकी कठिनाई का स्तर भी बढ़ाया गया है। यही कारण है कि बीते कुछ वर्षों तक जहां यूनिवर्सिटी में शोध के लिए विदेशी शोधार्थी आया करते थे, उनका आना अब लगभग बंद हो गया है।  
 

Created On :   22 Aug 2018 6:07 AM GMT

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