स्कूली छात्राओं को सैनेटरी नैपकिन की आपूर्ति मामले में टेंडर से जुड़ी शर्तों को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को अस्वीकार कर दिया है जिसमें राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों की छात्राओं को सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने से जुड़े टेंडर की कुछ शर्तों को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि लड़कियों सुरक्षा महत्वपूर्ण है। ऐसे में टेंडर में जो शर्ते लगाई गई है वे गुणवत्ता के लिहाज से जरुरी है। क्योंकि नैपकिन को राज्य की 9940 स्कूलों में पहुंचाया जाना है। इस संबंध में किरवान वेंडसॉल नामक कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में स्वच्छता व लड़कियों की सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए नैपकीन की गुणवत्ता का ख्याल रखना जरुरी है। इसलिए में टेंडर की शर्ते बिल्कुल भी अवैध नजर नहीं आ रही है।
याचिका में मुख्य रुप से टेंडर की दो शर्तों को चुनौती गई थी। पहली शर्त के तहत टेंडर भरनेवाली कंपनी के पास सैनेटरी नैपकिन की आपूर्ति को लेकर तीन साल का अनुभव होना और दूसरी शर्ते के तहत कंपनी का सालाना टर्नओवर 12 करोड़ रुपए होना अनिवार्य किया गया था। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील बीवी सामंत ने खंडपीठ के सामने कहा कि टेंडर में उपरोक्त शर्त इसलिए लगाई गई है ताकि नैपकिन की गुणवत्ता को बरकरार रखा जा सके।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा टेंडर स्कूल में पढ़नेवाली छात्राओं को नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए निकाला गया है। ऐसे में इस मामले में लड़कियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए नैपकिन की आपूर्ति करनेवाली कंपनी के काम का अनुभव होना जरुरी है। इसके अलावा राज्य भर में नौ हजार से अधिक स्कूलों में नैपकिन की आपूर्ति होनी है इसलिए कंपनी के कार्य का अनुभव व उसका टर्नओवर इस मामले में प्रासंगिक है। इस तरह खंडपीठ ने याचिका को सुनवाई के बाद समाप्त कर दिया।
Created On :   3 Feb 2023 9:47 PM IST