जैव विविधता संवर्धन के लिए तालाबों में की जलीय वनस्पतियों की रोपाई  

Planting of aquatic vegetation in ponds for biodiversity promotion
जैव विविधता संवर्धन के लिए तालाबों में की जलीय वनस्पतियों की रोपाई  
जैव विविधता संवर्धन के लिए तालाबों में की जलीय वनस्पतियों की रोपाई  

डिजिटल डेस्क, नवेगांवबांध (गोंदिया)। तालाबों के संवर्धन का बीड़ा उठाते हुए गोंदिया जिले के तालाबों में जलीय वनस्पति लगाई गई। जैवविविधिता संवर्धन कार्यक्रम अंतर्गत भंडारा निसर्ग संस्कृति अभ्यास मंडल की ओर से तालाबों में जैवविविधता संवर्धन के लिए कोकणा जमी एवं भिवखिड़की के तालाबों में मत्स्य पालन सहकारी संस्थाओं के सहयोग से दुर्लभ होती जा रही जलीय वनस्पतियों का रोपण किया गया।

तालाबों का गलत प्रबंधन, गहरीकरण जैसे कारणों से तालाबों की प्राकृतिक जलीय वनस्पतियां नष्ट होने की कगार पर है। अनेक वनस्पतियांं नष्ट भी हो चुकीं है। जिसका मत्स्य उत्पादन पर गंभीर परिणाम हो रहा है। इसके कारण मछलियों का प्राकृतिक विकास नहीं हो पाता। तालाबों में पक्षियों की संख्या भी कम होते जा रही है। स्थानीय प्रजातियों की मछलियां कम होने से कुछ प्रजातियां नष्ट हो चुकीं हैं। अनेक समस्या का कारण , मछलियों के लिए अनुकूल अधिवास नष्ट होना बताया जा रहा है। जिसके कारण तालाबों की जैवविविधता खतरे में पड़ गई है।

तालाब में आवश्यक गाद, चिवुल, साखल्या, चिला, परसुड़, करंभू भाजी, चौरा, लाल एवं सफेद कमल जैसी जैवविविधता के संवर्धन के लिए पोषक वनस्पतियों की रोपाई कोकणा-जमी. के गांव तालाब एवं भिवखिड़की के भीरखोड्या तालाब में 8-8 एकड़ क्षेत्र में किया गया। मच्छिद्रनाथ मत्स्य पालन सहकारी संस्था कोकणा-जमी. एवं आदर्श मत्स्य पालन सहकारी संस्था भिवखिड़की के सहयोग से यह उपक्रम संपन्न किया गया। देखा जाए तो तालाब में जैवविविधता संवर्धन के लिए मछुआरों एवं मत्स्य पालन सहकारी संस्थाओं का सहभाग बढ़ाना आवश्यक है। इसी से जैवविविधता का संवर्धन संभव हो सकता है। 

जलीय वनस्पतियों की रोपाई के दौरान भंडारा निसर्ग एवं संस्कृति मंडल के मनीष राजनकर, पतिराम तुमसरे, पर्यावरण शिक्षण मित्र नंदलाल मेश्राम, दिलीप पंधरे, विजय रूखमोड़े, सरिता मेश्राम, शालू कोल्हे, कविता मौजे, इंदिरा वेठी, योगिता शेंडे, मंगेश कोल्हे, आसाराम मेश्राम, कुंडलिक कांबले, मंगल मेश्राम, धनराज कांबले के साथ स्थानीय वनस्पति विशेषज्ञ तथा बचत समूह की महिला कार्यकर्ता उपस्थित थी।  

जैवविविधता संवर्धन आवश्यक 
गोंदिया एवं भंडारा जिला तालाब के जिलों के रूप में पहचाने जाते हैं। इन तालाबों में मछलीमारी कर अपनी उपजीविका चलाने वाला समुदाय बढ़ा है। विविध कारणों से तालाबों की जैवविविधता खतरे में पड़ गई है। जिसके कारण इस पर आधारित घटकों का अस्तित्व नष्ट होने की कगार पर है। मत्स्य पालन सहकारी संस्थाओं एवं ग्राम पंचायतों को अपने तालाबों में जलीय वनस्पतियों का संवर्धन करना आवश्यक है। तालाबों की जैवविविधता संवर्धन के कार्य को जनांदोलन बनाया जाना चाहिए।
(नंदलाल मेश्राम, पर्यावरण शिक्षण मित्र जांभडी)

Created On :   21 July 2018 6:08 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story