पुराने हो चुके हैं इसलिए नहीं दौड़ पाते पुलिस के कई वाहन, नए के लिए भेजा प्रस्ताव

Police vehicles can not run on roads because they are old
पुराने हो चुके हैं इसलिए नहीं दौड़ पाते पुलिस के कई वाहन, नए के लिए भेजा प्रस्ताव
पुराने हो चुके हैं इसलिए नहीं दौड़ पाते पुलिस के कई वाहन, नए के लिए भेजा प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर पुलिस एमटीओ (पुलिस परिवहन विभाग) में आगामी कुछ माह में 133 चार पहिया नए वाहन आने वाले हैं। शहर पुलिस विभाग में चल रहे कई चार पहिया वाहन पुराने हो चुके हैं। नए वाहनों की मांग काफी समय से पुलिस वाहन चालक करते आ रहे हैं। कुछ पुलिस वाहन चालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुराने वाहनों के कारण हादसा होने की आशंका बनी रहती है। इन नए वाहनों के लिए शहर पुलिस एमटीओ विभाग ने पुणे स्थित एडिशनल डीजी पुलिस कार्यालय को भी पत्र भेज चुका है। सूत्र बताते हैं कि यह आधुनिक वाहन शहर में गलियों के अंदर भी आसानी से आ जा सकेंगे। पुराने कई पुलिस वाहनों की स्टीयरिंग जगह पर ही नहीं कटती है, जिससे चालक कई बार गलियों के अंदर जाने से कतराते हैं। उसे काफी दूर ही वाहन को रोक देना पड़ता है। 

काम नहीं रुकता
शहर की सड़कों पर दौड़ रहे पुराने वाहनों के रिकार्ड के बारे में ज्यादा जानकारी देने से एमटीओ के अधिकारी बचते नजर आए। उनका कहना है कि कोई भी काम वाहनों की कमी से नहीं रुकता है। उसके लिए अधिकारी पहले से ही जुगाड़ रखते हैं। कई गश्ती वाहन काफी पुराने हो चुके हैं। उनकी गति काफी धीमी हो गई है, इसलिए वह धीरे चलते हैं। एमटीओ को पता है कि कभी भी वाहन की जरुरत पड़ सकती है, इसलिए कुछ वाहनों को वीआईपी के लिए आरक्षित रखा जाता है। पुराने वाहनों को कबाड़ में भेज दिया जाता है। पुलिस विभाग के थाने अब बस्ती के अंदर आ चुके हैं। ऐसे में उन थानों को ऐसे वाहन देने की कोशिश की जाती है, जो किसी भी घटनास्थल पर जल्दी आसानी से पहुंच सकें। 

ईंधन की भी होगी बचत
सूत्रों ने बताया कि नए वाहनों के आने से ईंधन की भी बचत हाेगी। पुलिस वाहनों के कुछ चालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुराने वाहनों के कारण ईंधन की खपत भी ज्यादा होती है। शहर में हमेशा वीआईपी मूवमेंट बना रहता है। ऐसे में पुराने वाहनों के कारण कई बार समय पर नहीं पहुंचने के कारण अधिकारियाें की खरी खोटी सुननी पड़ती है। 

कई बार तू-तू, मैं-मैं
गश्ती दोपहिया वाहनों को हर रोज करीब 10 लीटर और चारपहिया व बड़े पुलिस वाहनों को 15 से 20 लीटर ईंधन मिलता है। पुराने वाहनों में ईंधन की खपत अधिक होने से अधिकारियों- कर्मचारियों के बीच कई बार तू-तू, मैं-मैं भी होती है।

अनेक एक्सपायरी डेट के करीब
शहर में 30 थाने हो गए हैं। इन थानों में कई चारपहिया वाहन पुराने होने के बाद भी चलाए जा रहे हैं। कुछ वरिष्ठ थानेदारों के पास पुरानी टाटा सूमो है। इतना ही नहीं, पुलिस विभाग से संबंधित दूसरे कई कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों के पास भी पुराने ही वाहन हैं। इन वाहनों की एक्सपायरी डेट नजदीक आ चुकी है। एमटीओ के अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी नहीं दी कि शहर पुलिस विभाग के थानों में कितने पुराने चारपहिया वाहन चल रहे हैं, लेकिन सूत्रों ने बताया कि 100 से अधिक चारपहिया वाहन ऐसे हैं, जिनकी एक्सपायरी डेट काफी नजदीक आ चुकी है।

नए चारपहिया वाहनों के लिए प्रस्ताव भेजा है
एमटीओ विभाग के पुलिस निरीक्षक अजीत देशपांडे का कहना है कि हां, यह सही है कि शहर पुलिस एमटीओ की ओर से नए चारपहिया वाहनों के लिए नया प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव को भेजे हुए दो माह से अधिक समय हो चुका है। मंजूरी मिलते ही नए वाहन शहर के एमटीओ में आ जाएंगे। जरुरत के हिसाब से उसे थानों के अलावा अन्य विभागों में दिए जाएंगे। 

रख-रखाव के अभाव में कबाड़ हो गए विवि के चार बड़े वाहन
उधर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में रख-रखाव की कमी के चलते 4 बड़े वाहन खड़े-खड़े कबाड़ हो गए हैं। विवि के आला अधिकारियों की नजरअंदाजी के कारण यह स्थिति उभरी है। विवि में पहले भी तत्कालीन कुलगुरु डॉ. विलास सपकाल द्वारा खरीदी गई स्कोडा गाड़ी पर जमकर विवाद हो चुका है। उस वक्त कुलगुरु की गाड़ी प्रकुलगुरु को दी गई थी। तबसे प्रकुलगुरु को मिली यह गाड़ी विवि में खड़ी है। इसके अलावा दो एम्बेसडर कार और एक ट्रक भी कई वर्ष से जीर्ण अवस्था में पड़े हैं। अब 8 वर्ष बाद जाकर प्रभारी कुलसचिव डॉ. नीरज खटी ने आरटीओ से पत्र लिख कर वाहनों की मौजूदा कीमत का आंकलन करने को कहा है। इसके बाद विश्वविद्यालय इनकी नीलामी करेगा। कुलसचिव ने इसकी पुष्टि की है।

विश्वविद्यालय का वार्षिक बजट करीब 400 करोड़ रुपए का है। इसमें सरकारी अनुदान के साथ ही विद्यार्थियों से मिलने वाली फीस और दानदाताओं की संपत्ति का भी समावेश होता है। ऐसे में सार्वजनिक सहायता से चलने वाले विश्वविद्यालय में फिजूलखर्ची न हो यह जिम्मेदारी आला अधिकारियों की होती है। विवि में चर्चा गर्म है कि यदि समय रहते विवि अधिकारियों ने इन वाहनों के रख-रखाव पर ध्यान दिया होता या फिर सही समय पर वाहन बेच दिए होते, तो आज ये वाहन खड़े-खड़े कबाड़ नहीं होते। 

Created On :   17 Jan 2019 5:37 PM IST

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