सीधे जनता से सरपंच के चुनाव के फैसले को पलटने की तैयारी

Preparation to reverse decision of Sarpanch election directly from public
सीधे जनता से सरपंच के चुनाव के फैसले को पलटने की तैयारी
सीधे जनता से सरपंच के चुनाव के फैसले को पलटने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश की महाविकास आघाडी सरकार ग्राम पंचायतों के सरपंच का चुनाव सीधे जनता से कराने के फैसले को पलटने की तैयारी में है। राज्य में पूर्व की भाजपा सरकार ने जुलाई 2017 में सरपंच का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने का फैसला किया था। प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि जनता द्वारा सरपंच का चुनाव कराने के फैसले को हमारा विरोध है। मंगलवार को मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में मुश्रीफ ने कहा कि जिन ग्राम पंचायतों में जनता के बीच से सीधे सरपंच चुने गए हैं वहां पर ग्राम पंचायत सदस्यों और सरपंच के बीच समन्वय नहीं होता है। सरपंच को ऐसा नहीं लगता है कि ग्राम पंचायत के सदस्यों को विश्वास में लेकर काम किया जाए। सरपंच और ग्रामसेवक मिलकर ग्रामसभा में क्या काम करते हैं यह ग्राम पंचायत सदस्यों को पता नहीं चल पाता है। सरपंच किसी एक विचारधारा से जुड़े होते हैं और ग्राम पंचायत दूसरे विचारधारा के होते हैं। मुश्रीफ ने कहा कि ग्राम पंचायत सदस्यों और सरपंच के बीच समन्वय नहीं होने से विकास काम पर बड़ा असर पड़ा है। मुश्रीफ ने कहा कि जनता द्वारा चुने गए सरपंचों को लगता है कि यह चुनाव सही है पर ये सरपंच अगले ग्राम पंचायत के चुनाव में निर्वाचित होंगे अथवा नहीं इसकी गारंटी नहीं होती। मुश्रीफ ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता है तो केवल सरपंच और नगराध्यक्ष पद के लिए इस पद्धति को क्यों लागू किया जाता है। इसलिए मेरा जनता द्वारा सरपंच के चुनाव का विरोध है। 

फडणवीस सरकार ने की गांवों की अपेक्षा

एक सवाल के जवाब में मुश्रीफ ने कहा कि राज्य में 28 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। ग्रामीण इलाकों में 2 लाख 36 हजार किमी से अधिक सड़कें हैं। पूर्व की फडणवीस सरकार की प्राथमिकता बुलेट ट्रेन, मेट्रो ट्रेन जैसी परियोजनाएं थी। इसलिए ग्रामीण इलाकों की सड़कों की हालत खराब है। इसलिए अब हमारी जिम्मेदारी ग्रामीण इलाकों की सड़कों को दुरुस्त करना है। जिला परिषद के प्राथमिक स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाएगा। मुश्रीफ ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से जिला परिषद क्षेत्र के 25-15 मद से मंजूर किए गए कामों को स्थायी स्थगिति नहीं दी गई है। मुश्रीफ ने कहा कि कार्यों पर स्टे देने का मतलब एकदम से रोक लगाना नहीं होता। हम समीक्षा करने के बाद यह स्टे हटा देंगे। मुश्रीफ ने कहा कि राज्य में हुए विधानसभा और जिला परिषद चुनावों के लिए आचार संहिता लागू होने के चलते ग्रामीण विकास विभाग की ओर से आवंटित निधि खर्च नहीं हो पाई है। इस निधि के लैप्स होने की संभावना है। इसलिए निधि खर्च करने के लिए समयावधि बढ़ाने की मांग को लेकर योजना विभाग को पत्र लिखा जाएगा। 

शिक्षक तबादले का 80 फीसदी कार्य पूरा

इसी दौरान ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव असीम गुप्ता ने कहा कि जिला परिषद स्कूलों के शिक्षकों का ऑनलाइन तबादले का काम 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। राज्य के ग्राम विकास विभाग के अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य ग्रामीण जीवनोन्नती अभियान (एमएसआरएलएम) के तहत महालक्ष्मी सरस प्रदर्शनी का आयोजन 17 से 29 जनवरी के बीच बीकेसी के एमएमआरडीए मैदान में होगा। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी प्रदर्शनी का उद्धाटन करेंगे। इस प्रदर्शनी में महाराष्ट्र समेत 29 प्रदेशों के 511 स्टॉल लगाए जाएंगे। इसमें से 70 स्टॉल खाद्य पदार्थों के होंगे। प्रदर्शनी में महिला सहायता समूहों द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की बिक्री होगी। राज्य में 4.23 लाख महिला सहायता समूह हैं। 
 

Created On :   14 Jan 2020 2:18 PM GMT

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