जैविक खाद से महकी बगिया, घर में लगाई सब्जियां

Prepare a garden of vegetables in the home by creating organic manure
जैविक खाद से महकी बगिया, घर में लगाई सब्जियां
जैविक खाद से महकी बगिया, घर में लगाई सब्जियां

 
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। गड़चिरोली नगर पालिका के मुख्याधिकारी कृष्णा निपाने की पत्नी प्रभा ने आम के आम, गुठलियों के भी दाम, इस कहावत को चरितार्थ करते हुए कुछ घरेलू उपयोग की चीजों और कचरे से जैविक खाद का निर्माण कर घर में सब्जियों का बगीचा तैयार किया है। कचरे के व्यवस्थापन का उन्होंने एक बेहतरीन विकल्प रखने में सफलता पायी है।  
महकी घर की बगिया
उन्होंने अपनी बगिया को हराभरा रखने के लिए उन्होंने जैविक खाद बनाने का अनूठा तरीका अपनाया। फिलहाल प्रभाजी द्वारा तैयार किया गया बगीचा शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बाजारों में पायी जानेवाली सब्जियों के उत्पादन में आम तौर पर रासायनिक खाद का इस्तेमाल अधिक होता है। इस कारण  विभिन्न बीमारियां भी घेरने लगी हैं। ऐसे में मुख्याधिकारी की पत्नी ने घर में रहनेवाली सामग्री और कुछ अन्य चीजों का सही व्यवस्थापन कर अपने परिवार के लिए तो पौष्टिक सब्जियों का जुगाड़ कर ही लिया है। मूल रूप से मुंबई के कल्याण की रहनेवाली प्रभाजी, अपने पति के तबादले के बाद गड़चिरोली आ गईं। एक बड़े शहर से अचानक आदिवासी बहुल जिले में आकर रहना आसान नहीं है। ऐसे में प्रभाजी ने अपना मन बहलाव के लिए घर में ही छोटी से बगिया तैयार कर ली और अब उनका अधिकांश समय अपनी बगिया की देखभाल में ही गुजार जाता है।

तैयार किया जीवामृत
उन्होंने कूड़े-कचरे की सहायता से जीवामृत नामक खाद का निर्माण किया है। उनसे इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि, पेड़-पौधों के लिए उनके द्वारा निर्मित जीवामृत किसी संजीवनी से कम नहीं है। यह जीवामृत तैयार करने के लिए उन्होंनेे 20 लीटर पानी, 1 लीटर गोमूत्र, 1 किलो गाय का गोबर, 180 ग्राम बेसन और 180 ग्राम गुड़ तथा मिट्टी औक कूड़ा कचरा लिया। यह सभी सामग्री इकट्ठा कर इसका घोल बनाया और तीन दिन में जीवामृत तैयार कर लिया। इस जीवामृत की सहायता से उन्होंने कम जगह में सब्जियों का उत्कृष्ट बगीचा तैयार कर लिया। इसमें उन्होंने चार प्रकार की सेमी की फल्ली, पालक, गवार, मेथी, धनिया, चौलाई की फल्ली, भिंडी, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, फूलगोभी, आली, मूली, तुअर आदि उगाने में सफलता पायी है। जीवामृत तैयार करने में ज्यादा लागत नहीं आती। कम पैसे में जीवामृत जैसे जैविक खाद का निर्माण कर प्रदूषणमुक्त सब्जियां उगाई जा सकती है। फिलहाल प्रभा की बगियां शहरवासियों के लिये आकर्षण का केंद्र बनीं हुई है। 
 

Created On :   25 Jan 2018 10:31 AM GMT

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