घोंघा-मिलीपीड व पैसा कीटों से फसलों की सुरक्षा करें, कृषि विभाग की अपील

डिजिटल डेस्क, वाशिम. जिले के कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन व अन्य संतरावर्गीय फलवृक्षों पर घोंगों का प्रादुर्भाव पाया गया है । घोंगे मृदकाय और उदरपाद वर्ग के प्राणी होते है और उनके शरीर पर कवच होता है जिसे शंख कहते है । घोंगों पर मुहीम स्वरुप में सभी किसानों द्वारा एक ही समय पर नियंत्रण किया जाता है तो यह अच्छी पध्दति से हो सकता है । नियंत्रण के लिए मशागतीय पध्दत, रासायनिक पध्दत व जैविक पध्दति अपनाएं । घोंगे मुख्य रुप से रात के समय नए पत्ते, कंद व फलों को सुराख गिराकर खाते है, जिससे फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान होता है । महाराष्ट्र में घोंगे प्रमुखता से जून से सितम्बर की समयावधि में बेहद सक्रिय होते है और फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाते है । इस उपद्रव को टालने के लिए खेतांे के आसपास दो मिटर चौड़े पट्टे में राख फैलाएं और बाद में मोरचुद व कली का चुना 2:3 प्रमाण में मिलाकर उसका थर राख पर दें, ऐसे स्थानों पर घोंगे नहीं आते । ग्रीष्म मंे ज़मीन को गहरे में नागरे, प्रादुर्भावग्रस्त क्षेत्राें में मुर्गियाँ छोड़ी जाए जो घोंगों को चुनकर खाएंगी, प्रादुर्भावग्रस्त खेतों में निश्चित फसले पर घांस के छोटे-छोट ढ़ेर लगाएं और उसमें जमा होनेवाले घोंगों को नष्ट करें । 15 प्रतिशत नमक का द्रावण बनाकर उसमें गोणपाट के टूकडे भिगोकर प्रादुर्भावग्रस्त क्षेत्रों में प्रति एकड़ 10 गोणपाट रखे, जिससे दिन में घोंगे गोणपाट के नीचे छूपने के लिए जाएंगे और नमक के संपर्क में आने से नष्ट होंगे । संतरावर्गीय फलवृक्ष को प्रतिवर्ष बोर्डोपेस्ट लगाए । फलवृक्ष के तने पर पतरे लगाए जाए तो घोंगे पेड़ पर नही चढ़ पाएंगे । साथही लहसून का अर्क निकालकर छिड़काव करने पर घोंगों का नियंत्रण किया जा सकता है । रासायनिक पध्दति से नियंत्रण करना हो तो विविध कम्पनियों के स्नेलकिलर मार्केट अथवा बाज़ार में उपलब्ध है, उनका उपयोग करें ।
अंकुरित फसल को पहुंचाते हैं नुकसान {मिलिपीड व पैसा इन कीटों का उपद्रव शुरुआत के समय में बड़े पैमाने पर रहता है और यह कीट फसल की नई कोंपलें और सेंडे कुतरकर नुकसान पहुंचाते है । पौधे उगने के बाद बरसात में खंड पड़ता है तो इसका प्रादुर्भाव बड़े पैमाने पर पाया जाता है । कीटों के नियंत्रण के लिए थायमेथाक्सरम का छिड़काव करें । घोंगे (स्नेल) पर नियंत्रण हेतु आर्यन फास्फेट अथवा मेटाअल्डेहेड्स 2.5 प्रतिशत तथा 15 प्रतिशत नमक के द्रावण का छिड़काव प्रति एकड़ 200 लिटर पानी में 2 किलो ड़ालकर करें । पैसा (मिलीपीड) पर नियंत्रण के लिए थायामेथाक्सलम 12.6 प्रतिशत, लैम्बाडासीहैलोथ्रीन 9.5 प्रतिशत, झेडसी कीटकनाशक 4 मिली प्रति 10 लिटर पानी में ड़ालकर छिड़काव करें । इस प्रकार कीटों का व्यवस्थापन करे । अधिक जानकारी के लिए कृषि सहायक से संपर्क करने का आव्हान जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी शंकर तोटावार ने किया ।
Created On :   1 July 2022 5:53 PM IST