आंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए मोबाईल फोन खरीदने नए बजट में 113 करोड़ का प्रावधान 

Provision of 113 crores in the new budget to buy mobile phones for Anganwadi workers
आंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए मोबाईल फोन खरीदने नए बजट में 113 करोड़ का प्रावधान 
 सरकार ने हाईकोर्ट को दी जानकारी  आंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए मोबाईल फोन खरीदने नए बजट में 113 करोड़ का प्रावधान 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि विधानसभा के साल 2023-2024 के बजट  में आंगनवाडी कर्मचारियों को मोबाइल (स्मार्ट फोन) खरीद के लिए 113 करोड़ रुपए का प्रावधघान किया गया है। राज्य के नोडल अधिकारी (पोषण अभियान) ने हलफनामा दायर कर हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। राज्य सरकार के नोडल अधिकारी ने तकनीकी रुप से पुराने हो चुके फोन से काम करने में आ रही दिक्कतों को लेकर आंगनवाडी कर्मचारियों के 6 संगठनों की ओर से दायर की गई याचिका के जवाब में यह हलफनामा दायर किया है। यह संगठन एक लाख आंगनवाडी कर्मचारी,आंगनवाडी सहायिकाओं व 13 हजार मिनी आंगनवाडी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है। आंगनवाडी कर्मचारी मुख्य रुप से आईसीडीएस योजना के तहत महिला व बच्चों के कल्याण के लिए लागू की जानेवाली योजनाओं को लागू करती हैं।

याचिका में आंगनवाडी कर्मचारियों ने दावा किया है कि आउटडेटेड मोबाइल फोन से एकात्मक बाल विकास योजना (आईसीडीएस) व पोषण ट्रैकर एप से जुड़े कार्य की रिपोर्टिंग संभव नहीं है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। जिसके तहत राज्य के नोडल अधिकारी मधुकर खंडागले ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि आंगनवाडी कर्मचारियों के लिएनए स्मार्ट फोन की खरीद के लिए साल 2023-2024 के बजट सत्र में 113 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। हलफनामें में नए मोबाइल फोन की खासियतों का भी जिक्र किया गया है। 

बुधवार को न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति डॉ लीला गोखले की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सहायक सरकारी वकील ने राज्य सरकार की ओर से दायर किए गए हलफनामे की प्रति खंडपीठ के सामने पेश की। जिसका निरीक्षण करने के बाद खंडपीठ ने संतोष व्यक्त किया। आंगनवाडी संगठनों की याचिका के मुताबिक आंगनवाडी कर्मचारियों को पैनासोनिक कंपनी का पुराने मॉडल का फोन दिया गया है। 2017 से यह फोन बनना बंद हो चुका है। इस मोबाइल फोन का रैम दो जीबी है। यह आंगवाडी कर्मचारियों के कार्य के लिए जरुरी एप को डाउनलोड करने के लिए पर्याप्त नहीं है। आंगनवाडी कर्मचारियों को फोन पर तीन से चार घंटे काम करना पड़ता है। जिससे यह फोन जल्दी गर्म हो जाता है। याचिका के मुताबिक आंगनवाडी कर्मचारियों को मोबाइल के जरिए पोषण ट्रैकर एप पर लाभार्थियों से जुड़ी जानकारी डालनी पड़ती है। 

भाषा के मुद्दे पर अगली सुनवाई के दौरान करेंगे विचार

इस बीच खंडपीठ के सामने पोषण ट्रैकर एप में मराठी भाषा में जानकारी अपलोड करने के मुद्दे पर भी सुनवाई हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता गायात्री सिंह ने कहा कि एप में आंगनवाडी कर्मचारियों को लाभार्थी का नाम मराठी में लिखने का विकल्प नहीं है। आदिवासी इलाकों में काम करनेवाली आंगनवाडी कर्मचारी इतनी सक्षम नहीं होती है कि वे अंग्रेजी में नाम लिख सके।वहीं केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि एक उद्देश्य के तहत अंग्रेजी में लिखने की व्यवस्था की गई है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि पोषण ट्रैकर को केंद्र सरकार ने विकसित किया है। हर प्रांत की अलग भाषा है जिसकी लिपी अलग-अलग है। वैसे भी आंगनवाडी को लाभार्थी के नाम को किसी कागज से देखकर ही लिखना है। खंडपीठ ने कहा कि हम इस मुद्दे पर अगली सुनवाई के दौरान विचार करेंगे। 
 

Created On :   8 Feb 2023 10:10 PM IST

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