राहुल गांधी के निर्देश पर असंतुष्टों को मनाने घर तक पहुंचेंगे कांग्रेस नेता

Rahul Gandhis instructions to reach home dissatisfied with Congress leaders
राहुल गांधी के निर्देश पर असंतुष्टों को मनाने घर तक पहुंचेंगे कांग्रेस नेता
राहुल गांधी के निर्देश पर असंतुष्टों को मनाने घर तक पहुंचेंगे कांग्रेस नेता

डिजिटल डेस्क,नागपुर। विदर्भ में संगठनात्मक स्थिति सुधारने के लिए कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं से संपर्क किया जायेगा। असंतुष्टों के घर तक नेता पहुंचेंगे। खासकर पूर्व सांसद व विधायकों के असंतोष का कारण जानने का प्रयास किया जायेगा। उन्हें संगठन कार्य में सक्रिय करने के साथ ही चुनाव रणनीति के तहत किये जाने वाले कार्याें की जिम्मेदारी दी जायेगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण इस रणनीति के तहत काम में जुट गए हैं।

6 अप्रैल को बुलढाणा में सभा
कांग्रेस सूत्र के अनुसार चव्हाण ने यवतमाल व अमरावती से विदर्भ में असंतुष्ट नेताओं को जोड़ने का अभियान आरंभ किया है। 6 अप्रैल को बुलढाणा में सभा होनेवाली है। मुकुल वासनिक के गृह क्षेत्र बुलढाणा में सभा के बाद कांग्रेस नेताओं की विशेष बैठक होनेवाली है। उसमें विदर्भ के सभी विधानसभा क्षेत्र की स्थिति की मोटे तौर पर समीक्षा की जायेगी। साथ ही चुनाव रणनीति पर काम करने के लिए जिम्मेदारियों का बंटवारा किया जायेगा। अप्रैल माह में ही पूर्व विदर्भ में कांग्रेस नेताओं के दौरे बढ़ेंगे। नाना पटोले, विजय वडेट्टीवार, सुनील केदार, राजेंद्र मुलक, गोपाल अग्रवाल समेत अन्य नेताओं को सामने रखकर कांग्रेस के युवा नेताओं को भी सक्रिय करने का अभियान चलाया जायेगा। 

10 वर्षों में बदली स्थिति
गौरतलब है कि कांग्रेस का विदर्भ में काफी प्रभाव रहा है। सबसे अधिक सांसद व विधायक चुनकर आते रहे हैं। नगर निकायों पर भी कांग्रेस की ही सत्ता रही है। आपातकाल के बाद देश में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हुई थी। तब भी विदर्भ से कांग्रेस के ही सांसद व विधायक अधिक संख्या में चुने गए थे। लिहाजा कांग्रेस के नेता विदर्भ क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ मानते रहे हैं। लेकिन 10 वर्षों में कांग्रेस की स्थिति में बदलाव आया है। पूर्व विदर्भ में भाजपा व पश्चिम विदर्भ में शिवसेना का प्रभाव बढ़ा है। कांग्रेस के कई पुराने नेता राजनीति की आम धारा से ही अलग होते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का अन्य दलों में जाने का दौर जारी है। 2014 के विधानसभा में विदर्भ में 62 में से 9 सीटों पर ही कांग्रेस जीत पायी। लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। लिहाजा जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करने का प्रयास चल रहा है। प्रदेश अध्यक्ष चव्हाण ने गैरराजनीतिक संगठनों व किसान नेताओं को आगे रखकर सरकार विरोधी सभाओं में भीड़ जुटाने का कार्य किया। यवतमाल व अमरावती में कांग्रेस की सभाओं ने लोगों का ध्यानाकर्षित किया।

विदर्भ में चल रही गुटबाजी का असर
विदर्भ के लगभग सभी जिलों में कांग्रेस में गुटबाजी है। नागपुर की गुटबाजी तो सीधे प्रदेश अध्यक्ष को ही चुनौती देने का प्रयास करती रही है। चंद्रपुर में पूर्व सांसद नरेश पुगलिया भी चुनौती का झंडा उठाये हुए है। यवतमाल में शिवाजीराव मोघे, माणिकराव ठाकरे, वसंत पुरके जैसे नेताअों में त्रिकोण बना रहता है। चव्हाण ने यवतमाल दौरे के समय शिवाजीराव मोघे के घर जाकर उनका असंतोष दूर किया। चव्हाण के विरोध में दिल्ली में लाबिंग कर चुके नेताओं के साथ मोघे भी शामिल थे। अमरावती जिले में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के पुत्र रावसाहब शेखावत को दोबारा संगठन में सक्रिय करने का प्रयास किया गया है। नागपुर में भी कुछ असंतुष्ट नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया गया है। युवा व महिला नेतृत्व को प्रोत्साहन के साथ ही संगठन कार्य को बढ़ाने की रणनीति पर भी काम किया जा रहा है। 
 

Created On :   31 March 2018 1:01 PM GMT

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