रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हर घर में जरूरी, अब जुर्माने से बचना है तो कर ले यह काम

Rain water harvesting is necessary in every house, now if you want to avoid fines, then do this work
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हर घर में जरूरी, अब जुर्माने से बचना है तो कर ले यह काम
चंद्रपुर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हर घर में जरूरी, अब जुर्माने से बचना है तो कर ले यह काम
हाईलाइट
  • ध्यान रखें
  • जल ही जीवन है
  • नहीं तो 20 हजार रुपए का लगेगा जुर्माना
  • रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हर घर में जरूरी

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। यदी आप चंद्रपुर में रहते हैं तो यहा खबर जान लेना बहुत जरूरी है, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर महानगरपालिका ने नई नीती तय की है। जिसके तहत इमारत के आकार अनुसार सोक पिट बनवाना जरूरी होगा। इसके लिए अनुदान भी दिया जाएगा। बोरवेल धारक या जिन घरों में कुएं हैं, इसके अलावा जो बड़े अपार्टमेंट्स में रहते हैं, उनके लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया गया है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग न करने पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। जो यह राशि संपत्ति टैक्स के बकाया के रूप में वसूली जाएगी।

मनपा की नई नीति के अनुसार 1000 वर्ग फीट इमारत क्षेत्र के लिए 5 हजार, 1001 से 2000 तक वर्ग फीट क्षेत्र के लिए 7 हजार और 2001 से अधिक वर्ग फीट क्षेत्र के लिए 10 हजार रुपए प्रोत्साह पर अनुदान दिया जाएगा। यही नहीं अगले 3 वर्ष तक 2 प्रतिशत संपत्ति टैक्स में छूट भी मिलेगी।

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जिन इमारतों और घरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग नहीं है, वहां जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए मोबाइल और एसएमएस से सूचित किया जा रहा है। कार्रवाई से बचना है तो आनेवाले 15 दिनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करने की अपील की गई है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग उपक्रम को इको प्रो, रक्षण धरणी मातीचे, रोटरी क्लब आदि विविध संस्थाओं  द्वारा बड़े पैमाने पर सहयोग मिल रहा है। 

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रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए भूमिगत जल को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। जब घर की छत से पानी निकलता है तो उसे पाइप या केप्सूल फिल्टर द्वारा एक सोकपिट तक पहुंचाया जाता है। जो पानी को फिल्टर करता है।

इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े डालते हैं, इसके बाद बजरी फिर रेत, जो पानी को फिल्टर करने का काम करती है। जब बारिश में छत का पानी पाइप के जरिए जमीन में बने चेंबर में पहुंचता है, तो वहां से सीधा भूमि में जाता है, जहां इसे लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है।

 

Created On :   26 May 2022 8:05 PM IST

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