संतरानगरी नागपुर में सीमेंट सड़कों के साथ होगी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

Rain Water Harvesting with Cement Roads develops in Orange city
संतरानगरी नागपुर में सीमेंट सड़कों के साथ होगी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग
संतरानगरी नागपुर में सीमेंट सड़कों के साथ होगी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अनेक योजनाओं पर अमल किया जा रहा है। इन्हीं में एक है सीमेंट सड़कों का निर्माण। 2015 से 2019 तक शहर की सभी सड़कें सीमेंट की बनाने की योजना है। दावा किया जा रहा है कि ये सड़कें अगले 50 साल तक मेंटेनेंस फ्री होंगी। तीन साल से काम शुरू है। इन तीन सालों में मनपा प्रशासन ने एक बार भी नहीं सोचा कि बरसात का पानी जमीन के भीतर कैसे जाएगा। तीन साल बाद जलप्रदाय समिति ने जब संबंधित विभाग के अधिकारी से इस बारे में पूछा तब जाकर उनकी नींद खुली। अब जो सड़कें बनायी जाएंगी, उसके निर्माण के दौरान रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की जाएगी। इसके लिए देशभर में बनी सीमेंट सड़कों का अध्ययन किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर विदेश दौरा भी किया जा सकता है। शहर में 3 चरणों में सीमेंट सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। योजना में शामिल 120 किलोमीटर में से 40 किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं। 683 करोड़ रुपए की योजना पर अब तक 209 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं।

इस तरह साकार होगी योजना
सीमेंट सड़कों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की अनोखी योजना साकार करने का प्रारूप कुछ इस तरह होगा। दोनों ओर सीमेंट सड़क और फुटपाथ के बीच 3 बाय 4 फीट के कांक्रीट के टैंक बनाए जाएंगे। यह टैंक 5 फीट गहरे होंगे। टैंक की सतह बनाते समय उसमें कुछ छेद रखे जाएंगे ताकि पानी जमीन के भीतर जाता रहे। इसके बाद टैंक में रेत, बजरी और बोल्डर डाले जाएंगे। इस पर कांक्रीट के ढक्कन लगाए जाएंगे। हर ढक्कन में 8 या 10 बड़े छेद होंगे। इनमें से बरसात का पानी टैंक में जाता रहेगा। ढक्कन इस ढंग से बने होंगे कि उसमें से पानी टैंक में चला जाए। यहां का पानी जरूरत पड़ने पर निकाला भी जा सकेगा। एक किलोमीटर सड़क पर हर 20 से 25 फीट पर यह टैंक बनाए जाएंगे। इस हिसाब से एक किलोमीटर सड़क पर 40 से 50 टैंक बनेंगे। यह पानी समीप के उद्यान, सड़कों के पेड़ पौधे और अग्निशामक दल को दिया जाएगा। टैंक की सतह में छेद होने से पानी का कुछ हिस्सा जमीन में भी रिसता रहेगा। इससे जमीन का जलस्तर बढ़ेगा।

जलप्रदाय विभाग के अनुसार उपराजधानी में सालाना औसत 1000 एमएम बारिश होती है लेकिन मनपा ने कभी भी बारिश के पानी को जमा करने के बारे में नहीं सोचा। न ही इसके लिए कोई उपाययोजना की। सूत्रों के अनुसार गोरेवाड़ा, सोनेगांव, सक्करदरा, अंबाझरी, नाइक तालाब, लेंडी तालाब, फुटाला तालाब में बरसात होने के बाद जो पानी जमा होता है, उसे ही मनपा संग्रहीत जल मानती है। बाकी शहरभर में बरसने वाला पानी संग्रहीत नहीं किया जाता। पानी की समस्या को देखते हुए मनपा प्रशासन पहली बार सीमेंट सड़कों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए नींद से जागी है।

तीन साल से नदी-नाले में बह रहा था पानी
नागपुर शहर में सीमेंट की सड़कें बनाने का काम तीन साल से शुरू है। सीमेंट सड़कों के किनारे फुटपाथ और सीवेज लाइनें बनायी गई हैं। सीवेज का पानी बहकर नालों और नदियों में चला जाता है। इसके साथ ही बरसात का पानी भी सड़कों से सीवेज लाइनों में जाकर बह जाता है। दूसरे शब्दों में बर्बाद हो जाता है। इसे संग्रहीत करने के लिए सीमेंट सड़क निर्माण के दौरान कोई उपाययोजना नहीं की गई है। न ही यह पानी जमीन में छोड़ने के लिए किसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस कारण हर साल बरसात का पानी बर्बाद हो रहा है। इस बात का संज्ञान जलप्रदाय समिति ने लिया है। समिति के पदाधिकारियों ने संबंधित अधिकारियों को सीमेंट सड़क निर्माण के साथ रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए उपाय योजना करने को कहा है। इसके बाद संबंधित अधिकारी नींद से जागे। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए तकनीक खोजने की शुरुआत करने की स्वीकृति दी है।

तीन साल पहले शहर में सीमेंट की सड़कें बनाने का काम शुरू किया गया था। गलियों से लेकर मुख्य सड़कें सीमेंट की बनाने की योजना पर तेजी से अमल किया जाने लगा। तीन चरणों में 120 किलोमीटर सीमेंट सड़कें बनाने का काम चल रहा है। इस पर 683 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इनमें से 40 किलोमीटर सड़क बन चुकी है, 17 किलोमीटर का काम शुरू है। अब तक 209 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। सड़क निर्माण के दौरान मनपा प्रशासन ने बरसात का पानी जमीन तक कैसे पहुंचे, इस बारे में सोचा तक नहीं था। इस कारण बरसात का पानी सीमेंट सड़कों से सीधे नदी-नाले में बह जाता है।

बरसात के पानी को जमीन के अंदर तक पहुंचाने के लिए कोई उपाययोजना नहीं की गई। तीन साल बाद अब मनपा प्रशासन की नींद खुली है। अब सड़क निर्माण के साथ ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग करने के लिए विकल्प ढूंढा जा रहा है। जलप्रदाय समिति के कहने पर मनपा प्रशासन इस काम में लगा है। इसकी तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिए देशभर की सड़कों का अध्ययन किया जाने वाला है। सूत्रों की माने तो मनपा की टीम विदेशी सड़कें भी देखने जा सकती है। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर इस पर चर्चा शुरू है।

Created On :   22 July 2018 12:16 PM GMT

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