नौकरी से निकालने की धमकी देकर अधीनस्थ महिला के साथ रेप, एफआईआर रद्द नहीं

Rape with subordinate woman by threatening to remove her from job, FIR not quashed
 नौकरी से निकालने की धमकी देकर अधीनस्थ महिला के साथ रेप, एफआईआर रद्द नहीं
 हाईकोर्ट  नौकरी से निकालने की धमकी देकर अधीनस्थ महिला के साथ रेप, एफआईआर रद्द नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपने अधीनस्थ काम करनेवाली महिला को सार्वजनिक रुप से बदनाम करने व नौकरी से निकालने की धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म करनेवालेएक आलाअधिकारी के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले को बांबे हाईकोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया है। आरोपी यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (यूबीएस) का आला अधिकारी रह चुका है। हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयान पर गौर करने के बाद कहा कि आरोपी ने पीड़िता के भोले स्वभाव का फायदा उठाकर व उसे धमकाकर उसे ऐसे अनुचित कृत्य के लिए मजबूर किया जिसके लिए वह राजी नहीं थी। 

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी ने पहले मुंबई के बांद्रा कुर्ला कांम्प्लेक्स (बीकेसी)स्थित यूबीएस कार्यालय में 11 दिसंबर 2017 को पीड़िता को कहा था कि “हायआज तुम बहुच अच्छी दिख रही है,एकदम हॉट गर्ल” पीड़िता ने आरोपी की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई थी। इसकेबाद आरोपी आलाधिकारी ने पीड़िता से माफी मांगी थी और पीड़िता ने उसे माफ भी कर दिया था। क्योंकि आरोपी ने वादा किया कि वह अपनी इस हरकत को दोबारा नहीं दोहराएगा। लेकिन कुछ समय बाद कार्यालय में एक प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद आरोपी ने अपने घर में पार्टी रखी और पीड़िता को अपने घर में बुलाया पहले तो पीड़िता तैयार नहीं थी लेकिन बाद में वह आरोपी के बार-बार आग्रह करने पर उसके घर चली गई। इस दौरान आरोपी ने बियर का सेवन किया फिर वह पीड़िता के करीब आने की कोशिश करने लगा। इस दौरान आरोपी ने पीड़िता से अपने प्रेम का इजहार भी किया। जो पीड़िता को पंसद नहीं आया।  फिर भी आरोपी ने जबरन पीड़िता के साथ संबंध बनाए। 

इस घटना के बाद आरोपी ने पीड़िता से पहले शादी करने फिर बैंक की नौकरी से निकालने व सार्वजनिक रुप से बदनाम करने की धमकी देकर उसके साथ कई बार जबरन संबंध बनाए। फिर आरोपी ने कुछ समय बाद  बिना किसी कारण का उल्लेख किए बगैर पीड़िता को 30 अप्रैल 2019 को बैंक की नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद पीड़िता ने आरोपी से अपना नाता तोड़ लिया और उत्तर प्रदेश के नोएड़ा में स्थित एक कंपनी में नौकरी कर  ली। फिर भी आरोपी ने पीड़िता की पीछा नहीं छोड़ा। वह लगातार पीड़िता से फोन में संपर्क करता रहा और उसे तंग करता रहा।  इससे परेशान होकर पीड़िता ने मुंबई के भोइवाडा पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफसाल 2021 एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी  के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376,376(2)(एन), 420 व 506 के तहत मामला दर्ज किया और फिर जांच के बाद कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने खंडपीठ के सामने दावा किया  कि इस मामले में दो वयस्को ने अपनी सहमति से संबंध बनाए है।

इस मामले में दुष्कर्म का मामला ही नहीं बनता है। इसलिए आरोपी के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया जाए। सरकारी वकील ने याचिका  का कड़ा विरोध किया और पूरे मामले की विस्तार से जानकारी दी। सरकारी वकील की दलीलों से सहमद खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस मामले में पीड़िता के आरोप व एफआईआर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376,376(2)एफ व 506  के तहत  अपराध का खुलासा करते है। जहां तक बात सहमति से संबंध बनाने के दावे की है तो  इस पर निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान विचार किया जाएगा। इस तरह  खंडपीठ ने आरोपी  के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया। 

 

Created On :   18 Feb 2023 8:38 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story