22 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति को लेकर याचिका दायर करने पर राहत देने से इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी की मौत के 22 साल बादअनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर याचिका दायर करनेवाली उसकी बेटी को राहत देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति न तो कोई अधिकार और न ही भर्ती जरिया। अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मुख्य रुप से घर के कमानेवाले के न रहने की स्थिति में परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान कर उसे संकट से उबारना है। मामले से जुड़े सरकारी कर्मचारी की मौत 6 मई 2002 को सेवा के दौरान हो गई थी। इसके बाद सरकारी कर्मचारी की बड़ी बेटी ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। इस बीच अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करने लड़की का 2009 में विवाह हो गया। इसके बाद उसे साल 2011 में नौकरी के लिए बुलाया गया लेकिन बाद में कृषि विभाग ने सरकारी कर्मचारी की बेटी को सूचित किया कि चूंकि उसका विवाह हो चुका है इसलिए उसे अपने पिता का कानूनी वारिस नहीं माना जा सकता है। इसलिए वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है। सरकारी विभाग के इस पत्र को सरकारी कर्मचारी की बेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति संदीप मारने की खंडपीठ के सामने सरकारी कर्मचारी की बेटी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता(सरकारी कर्मचारी की बेटी) के वकील ने कहा कि विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र होती है। उनके मुवक्किल(सरकारी कर्मचारी की बेटी) की नियुक्ति के आवेदन पर विचार न किया जाना पूरी तरह से गलत है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में यदि विभाग ने याचिकाकर्ता को अपात्र ठहरा दिया था तो उसकी बहन भी तब तक वयस्क हो चुकी थी। वह भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकती थी। उसका विवाह भी नहीं हुआ था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस मामले में याचिकाकर्ता के पिता की मौत साल 2002 में हुई थी। इस घटना को 22 साल बीत चुके हैं। ऐसे में इस मामले में विलंब को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इस तरह से खंडपीठ ने याचिका को खत्म कर दिया।
Created On :   22 Feb 2023 9:20 PM IST