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सेवानिवृत्त जज करेंगे नागपुर यूनिवर्सिटी से जुड़े छात्रवृत्ति घोटाले की जांच
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी और सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन से जुड़े छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश से प्रकरण की जांच कराने के आदेश दिए हैं। विवि को तीन सप्ताह में जांच अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। जांच अधिकारी 6 माह के भीतर जांच पूरी कर हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपेंगे। हाईकोर्ट ने समाजकल्याण विभाग, नागपुर यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट संचालक सुनील मिश्रा को 50-50 हजार रुपए जमा कराने के भी आदेश दिए हैं। मामले में विवि की ओर से एड. पी. सत्यनाथन और याचिकाकर्ता उमेश बोरकर की ओर से एड. एपीजेपी दुबे ने पक्ष रखा।
यह है मामला
उमेश बोरकर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन के संचालक सुनील मिश्रा पर छात्रवृत्ति में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता बोरकर की दलील है कि विद्यापीठ अधिनियम के अनुसार शैक्षणिक शुल्क संबंधी आदेश जारी करने का अधिकार विद्यापीठ व्यवस्थापन परिषद को होता है। 5 दिसंबर 2013 को मिश्रा ने अवैध तरीके से विद्यापीठ के तत्कालीन कुलसचिव अशोक गोमासे से शुल्क वृद्धि का बनावटी पत्र तैयार करवाया और पिछड़ा वर्ग श्रेणी के विद्यार्थियों की फीस के रूप में समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति वसूल की। इस मामले में कॉलेज पर 59 लाख रुपए की वसूली भी निकाली गई है। विवि ने पूर्व कुलसचिव गोमासे के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है। विवि ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि उन्होंने गोमासे को उनके खिलाफ चार्जशीट भी दे दी है।
Created On :   7 Dec 2017 12:09 PM GMT