कानून के मुताबिक सिर्फ कत्लखाने में होनी चाहिए कुर्बानी, कैसे रोकेंगे नियमों का उल्लंघन 

Sacrifice should be done only in the slaughterhouse, how will the violation of rules be stopped
कानून के मुताबिक सिर्फ कत्लखाने में होनी चाहिए कुर्बानी, कैसे रोकेंगे नियमों का उल्लंघन 
हाईकोर्ट कानून के मुताबिक सिर्फ कत्लखाने में होनी चाहिए कुर्बानी, कैसे रोकेंगे नियमों का उल्लंघन 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने जानना चाहा है कि पशुओं की कुर्बानी के दौरान नियमों का उल्लंघन न हो इसकी रोकथाम के लिए कौन से ठोस कदम उठाए जाएंगे। क्योंकि नियमों के मुताबिक सिर्फ कत्लखाने में ही पशुओं की कुर्बानी होनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी नहीं हो सकती है। इसके अलावा कुर्बानी के लिए जरुरी अनुमति भी जरुरी है। खंडपीठ के सामने जीव मैत्री ट्रस्ट की की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एके मेनन व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता कुर्बानी के खिलाफ नहीं है लेकिन पशुओं की कुर्बानी कानून के मुताबिक होनी चाहिए। इस दौरान पर्यावरण अधिनियम व प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक कानून सहित अन्य कानून के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि भिवंडी-निजामपुर महानगरपालिका के पास कोई कत्लखाना नहीं है। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि 10 जुलाई को बकरीद के दौरान कोई कानून व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं। मोहल्ला कमेटी, मुस्लिम ट्रस्ट व मौलवियों की बैठक चल रही है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि पशुओं की कुर्बानी के दौरान नियमों का उल्लंघन न हो इसकी रोकथाम के लिए कौन से ठोस कदम उठाए जाएंगे। इस पर मुंबई महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे वकील जोयल कार्लोस ने कहा कि मनपा ने अपनी नीति के हिसाब से सभी जरुरी इंतजाम किए हैं। वहीं भिवंडी मनपा के वकील एनआर बूबना ने कहा कि उन्हें इस मामले में निर्देश लेने के लिए समय की मांग की। इसके बाद खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 5 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। 

अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई न करने पर हाईकोर्ट ने जाहिर की नाराजगी

बांबे हाईकोर्ट ने अवैध नर्सिंग होम को लेकर कार्रवाई न किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। इससे पहले कोर्ट को बताया गया कि मनपा ने पिछले साल 1547 क्लिनिक व नर्सिंग होम का निरीक्षण किया था। इसमें से सिर्फ 687 नर्सिंग होम ने अग्नि सुरक्षा व दूसरे नियमों का पालन किया था। इस तथ्य के मद्देनजर न्यायमूर्ति एके मेनन की खंडपीठ ने मुंबई मनपा से पूछा है कि कितने क्लिनिक व नर्सिंग होम बिना जरुरी लाइसेंस लिए व अग्निसुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन न करने के बावजूद चल रहे है। आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।  

Created On :   4 July 2022 8:14 PM IST

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