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स्कूल वसूली पर अड़े, नहीं भेज रहे लिंक- यानि नो फीस, नो एजुकेशन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोविड महामारी के कारण अनेक लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा। जिनका रोजगार बचा, उन पर भी आर्थिक संकट की मार पड़ी। तंगी के चलते पालक फीस नहीं भर पाए। अब नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है, तो स्कूल प्रबंधन फीस भरने के लिए पालकों पर दबाव बना रहा है। फीस नहीं भरने पर विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। शहर के कमोबेश सभी निजी स्कूल फीस वसूली को लेकर अड़ियल भूमिका में हैं। स्कूल प्रबंधनों ने ‘नो फीस, नो एजुकेशन’ का रास्ता अपना लिया है। जिन्होंने फीस भरी उन्हीं को ऑनलाइन एजुकेशन की लिंक भेजी जा रही है। जो पालक फीस भरने में असमर्थ है, उनके बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन की लिंक से वंचित रखा जा रहा है। शहर की नामी स्कूलों के पालकों से संपर्क करने पर उन्होंने अपनी व्यथा बयां की।
अभिभावक शिवानी वाघ का कहना है मेरी दो बेटियां स्कूल ऑफ स्कॉलर्स (अत्रे ले-आउट) में चौथी और सातवीं कक्षा में हैं। शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 की एक किस्त को छोड़ बाकी फीस भरी है। अतिरिक्त फीस वसूली का कोर्ट में प्रकरण चल रहा है। गत शैक्षणिक वर्ष की 50 प्रतिशत फीस भरने को तैयार हैं। स्कूल 10 प्रतिशत छूट देकर बाकी फीस भरने के लिए दबाव डाल रहा है। फीस नहीं भरने के कारण बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन की लिंक नहीं भेजी जा रही है।
अभिभावक निलेश बोपचे का कहना है कि मेरा बेटा रिंग रोड त्रिमूर्ति नगर स्थित टिप-टॉप स्कूल में छठीं कक्षा में है। मोबाइल पर मैसेज भेजकर ऑनलाइन एजुकेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने स्कूल में बुलाया गया। वहां जाने के बाद चालू वर्ष की फीस का पीडी चेक मांगा गया। नहीं देने पर ऑनलाइन एजुकेशन का लिंक नहीं भेजी जा रही है। 28 जून से स्कूल खुले हैं, लेकिन लिंक नहीं मिलने से मेरा बेटा शिक्षा से वंचित है।
अभिभावक योगिनी वाघ का कहना है कि मेरी बेटी स्कूल ऑफ स्कॉलर्स अत्रे ले-आउट स्कूल से आठवीं कक्षा उत्तीर्ण हुई। उसे नौवीं कक्षा में उसी स्कूल में पढ़ाना चाहते थे, लेकिन फीस नहीं भरने पर स्कूल ने लिविंग सर्टिफिकेट घर पर भेज दिया है। ऐसा 45 विद्यार्थियों के साथ हुआ है।
Created On :   11 July 2021 4:46 PM IST