शहडोल के कवि पीके सिंह का किताबों से प्रेम ऐसा कि बना डाली स्वयं की लाइब्रेरी, जहां रखी हैं एक हजार से ज्यादा किताबें।

Shahdol poet PK Singhs love for books was such that he made his own library.
शहडोल के कवि पीके सिंह का किताबों से प्रेम ऐसा कि बना डाली स्वयं की लाइब्रेरी, जहां रखी हैं एक हजार से ज्यादा किताबें।
वर्ल्ड बुक डे शहडोल के कवि पीके सिंह का किताबों से प्रेम ऐसा कि बना डाली स्वयं की लाइब्रेरी, जहां रखी हैं एक हजार से ज्यादा किताबें।

डिजिटल डेस्क, शहडोल। गूगल में ऐसे लोग बैठे हैं जो तकनीकी रुप से कुशल हैं। वहां प्रश्न पैदा किया जाता है और उसका जवाब भी किताबों से निकालकर ही गूगल के प्लेटफार्म पर रखा जाता है। लेकिन वह जवाब इतना शार्टकट में रहता है, कि कई बार युवा पीढ़ी चाहकर भी पूरी बात नहीं समझ सकती है। इसके लिए जरुरी है कि जब आप किताब पढ़ेंगे तब पता चलेगा कि गूगल में जो जवाब दिया है उसके आगे क्या लिखा है और उसके बाद में क्या है। युवा पीढ़ी किताब नहीं पढ़ेंगे तब तक सही जानकारी नहीं मिलेगी, क्योंकि बिना संदर्भ के सही ज्ञान नहीं मिलती। और पूर्ण ज्ञान किताबों से ही मिलेगा। यह बातें दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान शहडोल में 40 से ज्यादा किताबें लिखने वाले कवि पीके सिंह ने कही। आज वर्ल्ड बुक डे पर हम आपको बता रहे ऐसे सख्शियत की कहानी जिनका किताबों के प्रति प्रेम ऐसा रहा कि उन्होंने स्वयं की लाइब्रेरी बनाई, जिसमें एक हजार से ज्यादा किताबों का संग्रह है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले पीके सिंह कहते हैं कि युवा पीढ़ी में किताबों से रुचि कम होती जा रही है। इस बार कोरोना काल में ऑनलाइन परीक्षाएं हुई तो बच्चों ने सवालों के जवाब किताबों में ढूंढऩे के बजाए गूगल में ढूंढ़ा। इंटरनेट के साथ ही यह दौड़ युवाओं में अनुसंधान और अविष्कार की क्षमता कम कर रही है। युवाओं को लगता है, कि सब पका पकाया मिल जाए। किताब को पढ़े बगैर आदमी सही और गंभीर ज्ञान प्राप्त कर पाए यह संभव नहीं है।

प्रकृति, प्रेम और संबंधों पर लिखी हैं किताबें-

प्रकृति, प्रेम, संबंधों पर किताबें लिखने वाले पीके सिंह बताते हैं कि अपनी जड़ों की जानकारी हमें किताबों से मिलती है। बिना किताब के अगर हम अपनी नींव को ही नहीं जानेंगे तो ज्ञान तो अधूरा ही कहा जाएगा। अपनी संस्कृति, भूत, इतिहास, सभ्यता को जानना जरुरी है। रोटी, भात खा लेना और जिंदा रहना यह पर्याप्त नहीं है। बड़ी बात यह है कि किताबें नहीं पढ़ेंगे तो दुनिया के बारे में कैसे जान पाएंगे।

थानेदार और एसडीओपी रह कर 17 जगहों पर दी सेवाएं, शहडोल में घर इसलिए बनाया क्योंकि यहां के लोग अच्छे हैं-

कवि पीके सिंह पुलिस विभाग में थानेदार से लेकर एसडीओपी तक रहे हैं। रीवा में सिविल लाइन थाने से 1965 से सेवाकाल प्रारंभ होने के बाद बैकुंठपुर, गढ़, टीकमगढ़, अमलाई, कोतवाली थाना शहडोल फिर सिविल लाइन रीवा, भोपाल सीआइडी, कोतमा के वापस शहडोल, अमलाई में थानेदार रहे। प्रमोशन में हरिजन वेलफेयर थाना रायगढ़ फिर बैढऩ, सिहोरा, बालाघाट, अमलाई से लोकायुक्त बिलासपुर में सेवाएं देने के बाद एसडीओपी बलौदाबाजार रहकर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने बताया कि शहर व स्थान तो सब अच्छे हैं, लेकिन शहडोल में घर इसलिए बनाया क्योंकि यहां के लोग अच्छे हैं। 
 

Created On :   23 April 2022 5:42 PM IST

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