चुनाव आयोग के समक्ष सुनवाई में शिंदे गुट का दावा- उद्धव की शिवसेना प्रमुख पद पर की गई नियुक्ति गैरकानूनी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण पर अधिकार को लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग में लंबी बहस चली। करीब तीन घंटे तक चली सुनवाई में आज शिंदे गुट की ओर से पक्ष रखा गया। इस दौरान शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने अपनी दलील में उद्धव ठाकरे की शिवसेना प्रमुख पद पर की गई नियुक्ति को गैरकानूनी करार देते हुए एकनाथ शिंदे की जुलाई 2022 में नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुख्य नेता के तौर पर की गई नियुक्ति को जायज बताया।
जेठमलानी ने सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत में उद्धव द्वारा 2018 में पार्टी के संविधान में किए गए बदलाव को फ्रॉड बताते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने 1999 में बनाए शिवसेना का संविधान लोकतांत्रिक था। उद्धव ने 2018 में गुप्त रूप से संविधानात्मक नियुक्तियां रद्द की और सभी अधिकार अपने तरफ ले लिए, जो एक धोखाधड़ी है। इसलिए शिवसेना के पार्टी प्रमुख पद पर उनकी नियुक्ति भी गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख गलत है, यह हमारा कहना नहीं है, लेकिन पार्टी प्रमुख के आदेश से जो नियुक्तियां की गई वह गलत है। जेठमलानी ने बताया कि शिंदे गुट के पास मौजूद बहुमत और संगठनात्मक ताकत को भी हमने आयोग के समक्ष सिद्ध किया।
ठाकरे गुट के राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने कहा कि शिंदे गुट ने आज अपनी दलील में विधायक और सांसदों की संख्या के आधार पर उनके पास बहुमत होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की संख्या के आधार पर पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा बताना यह लोकतंत्र के लिए घातक है। देसाई ने कहा कि पार्टी प्रमुख द्वारा टिकट देने के बाद वे चुने गए। मूल पार्टी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमने आयोग को 20 लाख से अधिक प्राथमिक सदस्यों का प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत किए है। अगले हफ्ते होने वाली सुनवाई में हम अपना पक्ष रखेंगे। ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा और इस दौरान उन्होंने जेठमलानी के दावे को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले आयोग इस मामले में फैसला न सुनाए जाने का आग्रह किया।
Created On :   10 Jan 2023 9:03 PM IST