शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत, 12 जुलाई तक अयोग्यता पर जवाब दाखिल करने लगाई रोक

Shinde faction gets interim relief from Supreme Court, stays filing reply on disqualification till July 12
शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत, 12 जुलाई तक अयोग्यता पर जवाब दाखिल करने लगाई रोक
बड़ी खबर शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत, 12 जुलाई तक अयोग्यता पर जवाब दाखिल करने लगाई रोक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापठक में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एकनाथ शिंदे गुट को अंतरिम राहत दे दी। शीर्ष अदालत ने डिप्टी स्पीकर द्वारा शिंदे गुट के 16 विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए 12 जुलाई तक (16 दिन) का समय दिया है। इसके साथ ही डिप्टी स्पीकर और शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु को नोटिस जारी कर अगले पांच दिनों में मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अब कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को करेगा।

शिंदे और भारत गोगावले की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ के सामने मुद्दा यह था कि क्या डिप्टी स्पीकर विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई कर सकते है, जब विधायकों ने खुद डिप्टी स्पीकर को हटाने की मांग की है। पक्षकारों की दलील सुनने के बाद पीठ ने मामले में अंतरिम आदेश दिया कि विधायकों को नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए 12 जुलाई तक रोक लगाई जाती है। उल्लेखनीय है कि डिप्टी स्पीकर ने शिंदे सहित 16 विधायकों को सोमवार 5.30 बजे तक समय दिया था।

पीठ ने इस दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील की दलील को भी दर्ज किया कि इस दौरान बागी विधायकों के जीवन और संपत्ति को कोई नुकसान नहीं होगा। डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इस बीच अयोग्यता पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता नीरज कौल ने तर्क दिया कि जब बागी विधायकों को हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो उपाध्यक्ष अयोग्यता की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। इस पर पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। कौल ने कोर्ट से कहा कि मुंबई में माहौल याचिकाकर्ताओं के लिए अनुकूल नहीं है।

दूसरी तरफ शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने दलील रखी कि जब अध्यक्ष के समक्ष कार्यवाही लंबित है तो अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि जब तक अध्यक्ष नोटिस का अंतिम रूप से निर्णय नहीं लेते, तब तक न्यायालय के समक्ष कोई कार्रवाई नहीं होगी। वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने दोनों की याचिकाओं की स्थिरता पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए कहा कि यह हाईकोर्ट को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में छलांग लगाने का मामला है। केन्द्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।

याचिका में उठाए गए मुद्दे

शिंदे और गोगावले ने रविवार की शाम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की अस्वीकृति को चुनौती दी गई। डिप्टी स्पीकर ने अयोग्यता का नोटिस जारी किया, क्योंकि विधानसभा में स्पीकर पद खाली है। याचिका में तर्क दिया गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देना अवैध है। शिंदे ने शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए प्रार्थना की कि जब तक डिप्टी स्पीकर को हटाने से संबंधित मुद्दे पर फैसला नहीं हो जाता तब तक अयोग्यता नोटिस पर कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए।

Created On :   27 Jun 2022 6:30 PM IST

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