पूर्व शिवसेना सांसद आढलराव भी शिंदे के साथ, कहा-लोकसभा चुनाव के लिए उद्धव ने कर लिया है एनसीपी से गठबंधन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना के तीन बार सांसद रह चुके शिवाजीराव आढलराव पाटील ने समर्थकों के साथ शिंदे गुट में शामिल होने का फैसला किया है। मंगलवार को पुणे में पत्रकारों से बातचीत में पाटील ने शिंदे गुट में शामिल होने की घोषणा की। उनके साथ में पुणे के जुन्नर सीट के शिवसेना के पूर्व विधायक शरद सोनवणे भी मौजूद थे। पाटील ने कहा कि हमें राकांपा के कारण काम करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। फिर भी शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे कहते हैं कि आप लोग राकांपा के साथ तालमेल के साथ काम करिए। उन्होंने कहा कि मुझे अपनी पूर्व की लोकसभा सीट शिरूर को छोड़कर पुणे सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था। जिससे बाद हमने शिंदे गुट में शामिल होने का फैसला लिया है। पाटील ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शपथ लेने के बाद उन्हें सोशल मीडिया के जरिए बधाई दी थी। जिसके बाद 2 जुलाई को उद्धव ने मुझे फोन पर कहा कि मैं आपके पोस्ट से आहत हुआ हूं। मैंने उनसे कहा कि मैंने केवल नए मुख्यमंत्री को बधाई दी है। मुझे नहीं लगता है कि इसमें कुछ गलत है। फिर 3 जुलाई को मुझे पार्टी से निकाले जाने की खबर शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित की गई थी। फिर उसी दिन शिवसेना ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि मेरे बारे में सामना में भूलवश खबर प्रकशित हो गई थी। जिसके बाद मैंने 5 जुलाई को उद्धव के साथ मुंबई में बैठक की थी। उद्धव ने मुझे समझाया जिसके बाद मेरी नाराजगी खत्म हो गई थी।
उद्धव ने कहा, राकांपा से तालमेल कर लो
मगर उसी बैठक में शिवसेना सांसद संजय राऊत ने हमारे जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। राऊत ने मुझे कहा कि आप शिरूर के बजाय पुणे लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कीजिए। क्योंकि शिरूर सीट अभी राकांपा के पास है। मैंने उद्धव की ओर देखा तो उन्होंने राऊत की बात पर सहमति जताई। उद्धव ने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस एक साथ हैं। इसलिए शिवसेना को पुणे लोकसभा सीट जीतने में मुश्किल नहीं होगी। इसी बैठक में शिवसेना के पूर्व विधायक सोनवणे ने सुझाव दिया कि शिवसेना को राकांपा से शिरूर सीट मांगनी चाहिए। शिरूर सीट के बदले राकांपा को पुणे की सीट दे देनी चाहिए। शिरूर सीट के राकांपा सांसद अमोल कोल्हे को पुणे सीट पर चुनाव लड़ने के लिए कहा जाए। इस पर राऊत ने कहा कि राकांपा इसके लिए तैयार नहीं है। जिस पर सोनवणे ने कहा कि हमारे राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? इस पर उद्धव ने कहा कि आप लोग राकांपा के साथ तालमेल कर लीजिए। इस पर मैंने उद्धव से कहा कि राकांपा से तालमेल करने के बजाय शिवसेना को विधानसभा की 288 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। जो भी परिणाम होगा उसको स्वीकार करने के लिए हम तैयार हैं। एक विधानसभा चुनाव हारेंगे मगर दूसरे चुनाव में जीत होगी। इस पर उद्धव ने कहा कि यह संभव नहीं होगा। हमें राकांपा के साथ गठबंधन कायम रखना है।
साल 2009 में होने वाला था राकांपा के साथ गठबंधन
पूर्व शिवसेना सांसद शिवाजीराव आढलराव पाटील ने दावा किया है कि शिवसेना और राकांपा के बीच साल 2009 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन होने वाला था। लेकिन साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पुणे की शिरूर लोकसभा सीट को लेकर शिवसेना और राकांपा में बात नहीं बन सकी। जिसके चलते उस समय दोनों दलों का गठबंधन नहीं हो पाया था। पाटील ने कहा कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव के लिए उद्धव की मंजूरी से शिवसेना सांसद संजय राऊत और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के बीच एक सहमति बनी थी। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए महाराष्ट्र से अधिक से अधिक सांसद जिताने की योजना थी। पवार साल 2009 के लोकसभा चुनाव में शिरूर सीट से लड़ने वाले थे। मैंने भी शिरूर सीट से लड़ने की तैयारी की थी। मैंने उद्धव ठाकरे की सभा का आयोजन किया था। लेकिन उद्धव ठाकरे की सभा को रद्द कर दिया गया था। मैं जब शिवसेना सांसद संजय राऊत के पास गया तो उन्होंने मुझे कहा कि पवार को शिरूर सीट से चुनाव लड़ना है। इसलिए आप पुणे की मावल सीट से चुनाव लड़िए। मुझे उद्धव ठाकरे की सभा को रद्द करने के लिए कहा गया। जिस पर मैंने नाराज होते हुए कहा था कि मैं सभा रद्द करने के लिए तैयार हूं। लेकिन पवार से भी अपनी सभा को रद्द करने के लिए कहिए। जिस पर राऊत ने कहा था कि हम पवार को ऐसा कैसे कह सकते हैं। वे हमारी बात नहीं सुनेंगे। इसके बाद मुझे मातोश्री से सभा की तैयारी के लिए फोन आया था।
पवार ने दिया था राज्यसभा टिकट का प्रस्ताव
पाटील ने कहा कि साल 2008 के दौरान पवार ने मुझे एक पांच सितारा होटल में बुलाकर लगातार दो बार राज्यसभा का टिकट देने का प्रस्ताव दिया था। जिसके बाद मैंने यह बात शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे को फोन कर बताई तो वे आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि उन्हें शिवसेना और राकांपा के बीच किसी गठबंधन की जानकारी नहीं थी। फिर तीन दिनों बाद यह तय हुआ कि शिवसेना और राकांपा एक साथ चुनाव नहीं लड़ेगी। पाटील ने कहा कि मुझे किसी को बेनकाब नहीं करना था। इसलिए मैंने कभी इसका खुलासा नहीं किया था।
Created On :   19 July 2022 9:21 PM IST