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शिवसेना ने लोकसभा ने उठाया जय श्रीराम धान की खरीदी का मसला, जनसंख्या पर सांसदों ने कहा- कानून बनाए सरकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना सांसद कृपाल तुमाने ने किसान सुपरफाईन जय श्रीराम धान की खरीदी में आ रही दिक्कत का मसला लोकसभा में जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने मांग की है कि उत्पादन लागत को देखते हुए सरकार इसका कम-से-कम ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय करे। तुमाने ने यह मसला शुक्रवार को शून्यकाल के दौरान उठाया। उन्होंने कहा कि रामटेक और मौदा तहसील में बड़ी मात्रा में जय श्रीराम धान का उत्पादन होता है। इस ब्रांड का चावल स्वादिष्ट होता है, लिहाजा कई इलाकों में इसकी काफी मांग है, लेकिन हालत यह है कि सरकार द्वारा घोषित 1750 रुपए के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी इसकी खरीदी नहीं हो पा रही है। इससे किसानों की मुश्किल बढ़ गई है, क्योंकि फसल की लागत भी नहीं निकल रही है। शिवसेना सांसद ने मांग की कि सरकार इस चावल को निर्यात करे और कम-से-कम 2500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से इसे खरीदने की व्यवस्था करे।
देश की निरंतर बढ़ रही जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कुछ सांसदों ने संसद में प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर कानून बनाने मांग उठाई है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद संजीव बलियान का कहना है कि उन्होने संसद में बिल इसलिए लाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र दिया है ताकि सभी को सुविधा मिल सके। जिसकी भी संख्या ज्यादा होगी उसे ही कम सुविधा मिलेगी। दरअसल, करीब आधा दर्जन सांसदों ने प्राइवेट मेंबर बिल के तहत जनसंख्या पर रोक के लिए कानून बनाए जाने की मांग उठाई है। इनमें सांसद संजीव बलियान, मध्यप्रदेश से भाजपा सांसद प्रल्हाद पटेल, राजेश रंजन, राजेश पांडेय, सांसद राघव रामलखन आदि शामिल है। जनसंख्या नियंत्रण पर काम कर रहे टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत ने शुक्रवार को इन्ही सांसदों को एक मंच पर आमंत्रित कर इस मुद्दे पर मंथन किया। सांसद प्रल्हाद पटेल ने कहा कि सभी को मंथन करना होगा कि जनसंख्या कैसे कम हो। सांसद राजेश रंजन ने कहा कि देश में विकास रुक गया है। चमत्कार को नमस्कार नही होना चाहिए। शिक्षा का स्तर बढाने का समय आ गया है। भारत का जस्टिस बिका हुआ है। सांसद राघव रामलखन ने बताया कि उन्होने संसद में नई जनसंख्या नीति बनाने की बात कई बार की है। यह सही है कि जिसके दो बच्चों से ज्यादा हो उसे सरकारी सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। सांसद राजेश पांडेय ने कहा कि बंटवारे के समय देश की आबादी 33 करोड़ थी आज 136 करोड़ पहुंच गई है। कोई बुद्धिजीवी इस औसत से बढ़ी आबादी को बर्दाश्त नहीं करेगा। कार्यक्रम में देश की सौ करोड़वी बच्ची ने भी हिस्सा लिया, जो अब 18 साल की हो गई है ने भी बढती आबादी के नुकसानों के बारे में बताया।
Created On :   28 Dec 2018 2:46 PM GMT