- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- मेयो में रहेगी सिकलसेल लैब , मेडिकल...
मेयो में रहेगी सिकलसेल लैब , मेडिकल की लैब जाएगी चंद्रपुर

डिजिटल डेस्क,नागपुर। सिकलसेल लैब मेयो हास्पिटल में शुरू की गई है। जो अब यहीं चलेगी जबकि मेडिकल की लैब चंद्रपुर स्थानांतरित की जाएगी। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में यहा जानकारी दी देते हुए बताया कि इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (मेयो) में बंद पड़ी सिकलसेल लैब शुरू कर दी गई है, मगर यहां "जेनेटिस्ट" पद पर नियुक्ति नहीं होने के कारण रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाला कोई अधिकारी नहीं है। वहीं शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (मेडिकल) में शुरू सिकलसेल लैब को आईसीएमआर ने चंद्रपुर मेडिकल अस्पताल भेजने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के अनुसार नागपुर में सिकलसेल मरीजों की संख्या को देखते हुए यहां दो लैब की जरूरत नहीं है। मगर न्यायालयीन मित्र एड. अनूप गिल्डा ने दलील दी कि मेडिकल से इस तरह एकाएक लैब शिफ्ट करने के पहले सरकार को सभी आंकड़ों पर गौर करन लेना चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि बीती सुनवाई में शासकीय अस्पतालों की दुर्व्यवस्था पर केंद्रित जनहित याचिका की सुनवाई में बंद पड़ी सिकलसेल का मुद्दा उठाया गया था। न्यायालयीन मित्र ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि विशेषज्ञों के अभाव में यह प्रयोगशालाएं बंद पड़ी हैं। ऐसे में सिकलसेल, थैलेसीमिया, गर्भजल परीक्षण के सैंपल हिस्टोपैथी विभाग को भेजे जाते हैं। करोड़ों रुपए खर्च करके बनाई गईं ये प्रयोगशालाएं आज धूल खा रही हैं, जिसके बाद सरकार ने अपनी भूमिका कोर्ट में स्पष्ट की है।
यह हो रही थी समस्या
न्यायालयीन मित्र गिल्डा ने कोर्ट को बताया कि नागपुर में यह परीक्षण बंद था, लेकिन एचटीसीएल तंत्र काम कर रहा था। ऐसे में, जो भी सैंपल लिए जाते हैं, उन्हें जांच के लिए मुंबई भेजा जाता था। इसके लिए मरीज को चार हजार रुपए खर्च करने पड़ते थे। आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों के लिए यह बड़ी परेशानी थी। उनके लिए इतना महंगा इलाज करा पाना संभव नहीं था। गिल्डा ने पैरवी की कि मेयो में डीन 60 प्रतिशत अनुदान सिर्फ सिकलसेल के लिए बचाकर रखें। उन्होंने तर्क दिया कि वर्ष 2013 से 15 के बीच जे.जे. हाॅस्पिटल में 56, मेडिकल में 2200 तो मेयो में 1500 मरीजों ने इलाज कराया। इससे स्पष्ट होता है कि मध्य भारत में इस बीमारी के मरीज ज्यादा हैं।
Created On :   8 Feb 2018 1:31 PM IST