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Nagpur News: आरटीओ रजिस्ट्रेशन घोटाला मामले में 4 सौ से अधिक ट्रकों का रिकॉर्ड खंगाल रही एसआईटी

- जांच में और नए खुलासे होने की संभावना
- नागपुर में अनगिनत अपंजीकृत चोरी के ट्रक
- वाहन निर्माण कंपनियों से मंगवाया रिकाॅर्ड
- नागपुर ग्रामीण आरटीओ में रजिस्ट्रेशन घोटाला
Nagpur News. ग्रामीण आरटीओ में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। एसआईटी जांच में खुलासा हुआ है कि, चोरी के ट्रक बिना जरूरी दस्तावेजों के रजिस्टर्ड कर दिए गए। इस खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है और कई आरटीओ अधिकारी व इंस्पेक्टरों पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार 400 से अधिक ट्रकों के रिकॉर्ड एसआईटी के पास पहुंचे हैं। इन ट्रकों के रिकॉर्ड खंगालने में एसआईटी की टीम जुट गई है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, इस प्रकरण में देशभर में इनके तार कहां-कहां फैले हैं, इसकी छानबीन की जा रही है। चर्चा है कि, नागपुर आरटीओ में रजिस्ट्रेशन से जुड़ा अब तक का यह सबसे बड़ा घोटाला है। इस प्रकरण की जांच में और भी नए खुलासे होने की संभावना सूत्रों ने जताई है। इस प्रकरण में कई पुलिस अधिकारी, आरटीओ अधिकारी और इंशुरेंस कंपनी के कुछ अधिकारियों पर जांच की आंच आ सकती है।
सूत्रों के अनुसार जांच में सामने आया है कि, नागपुर और विदर्भ सहित देश के अन्य हिस्सों से चोरी हुए हजारों ट्रकों का रजिस्ट्रेशन नागपुर ग्रामीण आरटीओ में किया गया। हैरानी यह है कि, दूसरे राज्यों से आए इन ट्रकों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में सबसे जरूरी दस्तावेज संबंधित आरटीओ की एनओसी रिकॉर्ड में नहीं मिली। एसआईटी यह भी पता लगाने में जुटी है कि, जिन ट्रकों का रजिस्ट्रेशन नागपुर ग्रामीण आरटीओ से किया गया उसके लिए किस तरह के दस्तावेज दिए गए थे, जिसके आधार पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी की गई। अधिकारियों ने कथित तौर पर मोटी रकम लेकर इन ट्रकों को रजिस्टर्ड कर दिया। बिना वैध दस्तावेजों के ये ट्रक नागपुर के कई नामी ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को लाखों रुपए में बेच दिए गए। इनमें कुछ ट्रांसपोर्टर ऐसे हैं, जिन्हें "ट्रांसपोर्ट का किंग" कहा जाता है, जिन्होंने चंद वर्षों में एक ट्रक से हजारों ट्रकों का कारोबार खड़ा कर लिया। इस मामले में एसआईटी हर पहलु की बारीकी से जांच कर रही है।
फाइलों में एनओसी की जगह खाली : चर्चा है जिन चोरी के ट्रकों का रजिस्ट्रेशन किया गया, उनकी फाइलों में एनओसी की जगह खाली पाई गई है, जबकि किसी भी वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए एनओसी अनिवार्य होती है, ताकि यह प्रमाणित हो सके कि, वाहन से जुड़े सोभी टैक्स व दस्तावेज पूरे हैं। एनओसी के बिना रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से अवैध माना जाता है। इस अनदेखी से सरकार को करोड़ों के टैक्स का नुकसान हुआ और अफसरों की जेबें भर गईं।
चर्चा है कि, इस गिरोह ने कुछ ट्रकों को छुड़वाने के लिए लाखों रुपए एक पुलिसकर्मी को दिए, जिसने यह रकम वरिष्ठ अधिकारियों के नाम पर ली। माफिया के इशारे पर कुछ ट्रांसपोर्टरों को छोड़ भी दिया गया। जैसे ही इसकी भनक वरिष्ठ अधिकारियों को लगी, संबंधित पुलिसकर्मी को तत्काल जांच से हटा दिया गया।
4 पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध, एक को हटाया
मुख्य सरगना जो फरार है। बताया जा रहा है उसके खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले सहित दो दर्जन से अधिक प्रकरण दर्ज होने की खबर है। सूत्रों के अनुसार इस माफिया के इशारे पर चार पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। इनमें से एक को हटा दिया गया है, जिसने कथित रूप से बड़े स्तर पर लेन-देन का काम संभाला था, जबकि तीन अब भी तैनात हैं। जिन ट्रांसपोर्टर से पुलिस के नाम पर माफिया ने पैसे लिए वह पुलिस के ईमानदार वरिष्ठ अफसरों के सामने यह बताने की तैयारी कर रहे हैं।
वाहन निर्माता कंपनियों के जवाब का इंतजार : आरटीओ से बार-बार जानकारी मांगने के बावजूद जब एसआईटी को आधा अधूरा जवाब मिला, तब ट्रक नंबरों के आधार पर वाहन निर्माता कंपनियों से रिकॉर्ड मंगवाया गया है। संबंधित कंपनियों को पत्र भेजे गए हैं और उनके जवाब का इंतजार है। यह जानकारी मिलने पर घोटाले की तस्वीर और साफ हो जाएगी। चर्चा है कि, कई सफेदपोश इस प्रकरण में लिप्त हैं, जो आने वाले समय में जांच रोकने की भरसक कोशिश कर सकते हैं।
एसआईटी का कहना है कि, वह किसी दबाव तंत्र में काम नहीं कर रही है और न ही आगे करेगी। इस घोटाले में आरटीओ, माफिया और कई बड़े ट्रांसपोर्टर शामिल हैं, जिन्होंने चोरी के ट्रकों को खरीदा था। सूत्रों के मुताबिक यह लोग जांच को प्रभावित करने के लिए कई बड़े राजनेताओं से सिफारिशें करवा चुके हैं, हालांकि अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है।
ट्रांसपाेर्टर का पत्र चर्चा में रहा : फरार माफिया को बचाने हाल ही में ट्रांसपोर्ट से जुड़े एक नेता ने पुलिस आयुक्तालय में पत्र भी लिखा था, जो काफी चर्चा में रहा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इस घोटाले की जड़ें कहां तक फैली हैं और माफिया को बचाने कैसे-कैसे लोग सामने आ रहे हैं। हालांकि, असली डर यही है कि, कहीं सफेदपोशों और माफियाओं के गठबंधन की पोल न खुल जाए।
Created On :   5 May 2025 8:35 PM IST