कोई पुलिसकर्मी 8 साल , तो कोई भर्ती के बाद से दोबारा बंदूक चलाने का नहीं ले पाया ट्रेनिंग

Some policemen not get tanning of gun shoot after join service
कोई पुलिसकर्मी 8 साल , तो कोई भर्ती के बाद से दोबारा बंदूक चलाने का नहीं ले पाया ट्रेनिंग
कोई पुलिसकर्मी 8 साल , तो कोई भर्ती के बाद से दोबारा बंदूक चलाने का नहीं ले पाया ट्रेनिंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले की पुलिस विभाग के पास हथियार चलाने की दोबारा ट्रेनिंग देने के लिए फायरिंग रेंज ही नहीं है। यह शोकांतिका है कि नागपुर जिले में करीब 12 हजार पुलिस अधिकारी-कर्मचारी हैं, जो हथियार चलाने की दोबारा ट्रेनिंग लेने के लिए अपनी बारी के आने का इंतजार लंबे समय तक करते हैं। कुछ पुलिस कर्मियों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि वह 8 साल से हथियार चलाने की ट्रेनिंग ही नहीं ले पाए हैं, कुछ तो ऐसे भी हैं , जो पुलिस भर्ती के समय हथियार की ट्रेनिंग लिए थे, बस उसी के आधार पर काम चला रहे हैं। 

यह है हकीकत

शहर पुलिस को शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर भंडारा पुलिस फायरिंग रेंज पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने जाना पड़ता है। नागपुर ग्रामीण पुलिस के पास भी फायरिंग रेंज नहीं होने से उन्हें वर्धा पुलिस की फायरिंग रेंज पर ट्रेनिंग लेने जाना पड़ता है। कई बार समय देने के बाद भी भंडारा और वर्धा की पुलिस फायरिंग रेंज की जगह नहीं मिल पाती है। तब सुबह 3 बजे से फायरिंग की ट्रेनिंग लेने जाने की तैयारी करने वाले नागपुर जिले के पुलिस जवानों के हाथ मायूसी के सिवा कुछ नहीं लग पाती है।

सीआरपीएफ व नेशनल फायर की जगह पर करते थे अभ्यास 

सूत्रों ने बताया कि जब नागपुर शहर का दायरा बढ़ा नहीं था, तब शहर और ग्रामीण पुलिस विभाग के अधिकारी- कर्मचारी हिंगना स्थित सीआरपीएफ की फायरिंंग रेंज में फायरिंग करने का अभ्यास करने जाया करते थे। इस फायरिंग रेंज के पास बस्तियां बढ़ने लगी और लोगों का आना-जाना बढ़ गया। कई लोग घायल हो गए तब सीआरपीएफ ने इस फायरिंग रेंज को बंद कर दिया, उसके बाद यहां पर पुलिस का फायरिंग करने का अभ्यास बंद हो गया। बाद में मानकापुर में नेशनल फायर कॉलेज की जगह पर फायरिंग रेंज बनाया गया था। नेशनल फायर कॉलेज ने अपनी जगह पर बढ़ते अतिक्रमण को देखकर अपनी जमीन वापस ले ली और उस जमीन पर अपना कार्यालय बना दिया, जिससे इस जगह पर भी पुलिस की फायरिंग रेंज बंद हो गई। इस समस्या के बारे में गृह मंत्रालय को अवगत कराया गया है।

पुलिस आयुक्त डा. भूषणकुमार उपाध्याय के मुताबिक यह बात सही है कि नागपुर पुलिस के पास फायरिंग रेंज नहीं है। शहर पुलिस को भंडारा में पुलिस फायरिंग रेंज पर जाकर बंदूकें चलाने का अभ्यास करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, हर पुलिस कर्मचारी को फायरिंग का प्रशिक्षण लेने के लिए 15 बुलेट दी जाती है। उस बुलेट के खाली खोखे को संभालकर वापस करने की जिम्मेदारी संबंधित पुलिस कर्मचारी की होती है। पुलिस अधिकारियों को फायरिंग करने के लिए 20 गोलियां दी जाती हैं। उन्हें भी गोलियां चलाने के बाद उसके खाली खोखे को वहां पर उपस्थित मोहरर (बंदूक व गोलियां लेकर जाने वाले कर्मचारी) को वापस देना पड़ता है। सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी- कर्मचारी को साल में कम से कम दो बार फायरिंग करना जरूरी होता है। कुछ कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया िक वह पुलिस प्रशिक्षण हासिल करने के बाद दो दशक से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन वह फायरिंग के लिए दोबारा नहीं जा पाए। खासकर कार्यालयीन कार्य करने वाले अधिकारियों- कर्मचारियों के सामने यह परेशानी है। 

Created On :   17 Feb 2019 8:11 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story