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साहित्यकार पीने-पिलाने के शौकीन होते हैं, इसलिए नशे के खिलाफ नहीं लिखते

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नशामुक्ति अभियान को तेज करने का आह्वान करते हुए पूर्व मंत्री शिवाजीराव मोघे ने साहित्यकारों पर तंज कसा है। साहित्य क्षेत्र में सक्रिय लोगों की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को समाज जागरण के लिए लेखन करना चाहिए। नशे के कारण समाज के ताना-बाना ध्वस्त हो रहा है, लेकिन साहित्यकार नशे के खिलाफ लिखते नहीं हैं। कई साहित्यकार तो खुले तौर पर कहने लगते हैं कि वे ही नशा के शौकीन हैं। पीने -पिलाने से नहीं चूकते हैं।
नशामुक्ति अभियान को प्रभावी बनाने का किया प्रयास
सी.मो झाड़े फाउंडेशन की ओर से सर्वोदय आश्रम विनोबा विचार केंद्र में पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में मोघे बोल रहे थे। वे महाराष्ट्र में सामाजिक न्याय मंत्री भी रह चुके हैं। पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व की आघाड़ी सरकार के समय उन्होंने राज्य में नशामुक्ति अभियान को प्रभावी बनाने का प्रयास किया था। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने एक शराब कंपनी के लिए 20 करोड़ के विज्ञापन के आमंत्रण को ठुकरा दिया था। तब श्री मोघे ने मंत्री रहते हुए तेंदुलकर को पत्र लिखकर उनकी प्रशंसा की थी।
मतदान की बजाय सार्वजनिक अवकाश का आनंद लेने वालों की खिंचाई
नशामुक्ति के लिए बकायदा नीति बनाई गई थी। राज्य स्तरीय नियामक मंडल के माध्यम से नशामुक्ति अभियान कार्यक्रम को गति देने का प्रयास किया गया था। मोघे ने नशापान के मामले में उन नागरिकों की भी जमकर खिंचाई की, जो मतदान करने के बजाय सार्वजनिक अवकाश का आनंद लेते हैं। उन्होंने कहा कि मतदान न करते हुए अवकाश का आनंद लेने वालों पर कार्रवाई होना चाहिए।
Created On :   3 Jan 2018 5:14 PM IST