कहीं जंगल में बहार, कहीं पतझड़ का आलम

Somewhere in the forest its spring, somewhere its autumn
कहीं जंगल में बहार, कहीं पतझड़ का आलम
 उंबर्डा बाज़ार कहीं जंगल में बहार, कहीं पतझड़ का आलम

डिजिटल डेस्क, उंबर्डा बाज़ार। प्रकृति एक कलाकार है और उसके ऋतुचक्र में भी एक करामात छिपी हुई है । इसी करामात के कारण शिशीर ऋतू समाप्त होकर वसंत ऋतू की शुरुआत हुई । इसी कारण पेड़ों ने अपने पुराने हो चुके पत्ते त्यागकर नए पत्ते धारण करने की शुरुआत की है । कुछ पेड़ों को इसी मौसम में फूल आने से वे वृक्ष केसरी लाल रंग के मुक्त बिखेर रहे है । अब वनों मंे पलास और काटसावर के फूल आकर्षण साबित हो रहे है तो कुछ वृक्षाें के हरे नए पत्ते वसंत ऋतु में सुशोभित नज़र आ रहे है । प्रकृति की विविध ऋतू से मानवी मन के साथही प्रत्येक प्राणी और पक्षियों को अलग-अलग अनुभूति और आनंद होता है । शिशीर ऋतू के समाप्त होने पर वसंत ऋतू आगमन की तैयारी करती है और वसंत ऋतू की आहट स्पष्ट महसूस होने लगती है । शिशीर ऋतू में अनेक वृक्ष अपने पुराने जीर्ण हो चुके पत्ते त्यागते है जिससे इस समय चहुंओर पतझड़ नज़र आती है । पेड़ों से झड़कर गिरे यह पत्ते हवा का झोंका आते ही आवाज़ करते हुए हवा के साथ हो लेते है । बाद में निष्पर्ण हो चुके वृक्ष धीरे-धीरे नए पत्ते धारण करने की शुरुआत करते है । इसके अलावा इसी समयावधि में आम्रवृक्षाें पर बहार आकर कुछ पेडों पर फूल आते है । इन पेड़ों पर पीले लाल रंग के फुलों को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है । इसमें पलस के केसरी रंग के फुल जंगलों में नवचेतना निर्माण कर रहे है । नाविन्यपूर्ण पलस के पत्तों से द्रोण, पत्रावली तैयार कर उसे विविध समारोह में उपयोग किया जाता था । लेकिन अब समय बदलने के बावजूद पलास के पत्तों का महत्व कम नहीं हुआ । पलास के फुलाें में रहनेवाले रस के कारण विविध प्रजाति के पक्षी और मधूमक्खियां मंडराती नज़र आती है ।


 

Created On :   28 Feb 2023 6:41 PM IST

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