राज्य सरकार का दावा - पुलिस सुरक्षा किसी का अधिकार नहीं

State government claims - Police protection is not the right of anyone
राज्य सरकार का दावा - पुलिस सुरक्षा किसी का अधिकार नहीं
हाईकोर्ट राज्य सरकार का दावा - पुलिस सुरक्षा किसी का अधिकार नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोई व्यक्ति पुलिस सुरक्षा को अपना अधिकार बताकर उस पर अधिकार नहीं जता सकता और न ही स्वाभाविक रुप से यू ही किसी को यह सुरक्षा दी जा सकती है। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। सरकार की ओर से ठाणे पुलिस ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) सांसद राजन विचारे की सुरक्षा में कटौती करने के अपने फैसले को न्यायसंगत ठहराया है। ठाणे के पुलिस उपायुक्त श्रीकांत परोपकारी ने सांसद विचारे की याचिका के जवाब में हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया है। हलफनामे के मुताबिक कोई व्यक्ति न तो पुलिस सुरक्षा को अपना अधिकार बताकर उसे पाने का हक रखता है और न ही किसी को स्वाभाविक रूप से यह सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। हलफनामे के अनुसार एक तय प्रक्रिया के तहत पुलिस सुरक्षा देने व सुरक्षा की अवधि के बारे में फैसला किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत पहले जांच की जाती है और फिर जिस व्यक्ति को सुरक्षा दी जानी है, उसे होने वाले संभावित खतरे का मूल्यांकन किया जाता है। इसके बाद सुरक्षा देने को लेकर निर्णय किया जाता है। जहां तक बात याचिकाकर्ता (विचारे) की है तो कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही उनकी सुरक्षा में कटौती की गई है। इस दौरान आलाधिकारियों से चर्चा के बाद निर्णय किया गया है। 

हलफनामे में कहा गया है कि वर्तमान में सांसद विचारे की सुरक्षा में दिन में एक पुलिसकर्मी व रात में एक पुलिसकर्मी को तैनात किया गया है। जबकि पहले विचारे की सुरक्षा में दो शिफ्ट में दो-दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। हलफनामे में विचारे के उस दावे को आधारहीन बताया गया है जिसमें विचारे ने कहा था कि मनमाने तरीके से जानबूझकर उनकी सुरक्षा को घटाया गया है। न्यायमूर्ति अजय गडकरी व न्यायमूर्ति पी डी नाइक की खंडपीठ ने विचारे की याचिका पर 21 फरवरी को सुनवाई रखी हैं। 

 

Created On :   14 Feb 2023 8:51 PM IST

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