बढ़ी फीस न जमा करने पर छात्रों को स्कूल से नहीं निकाल सकते - हाईकोर्ट

Students cannot be expelled from school for not depositing higher fees - High Court
बढ़ी फीस न जमा करने पर छात्रों को स्कूल से नहीं निकाल सकते - हाईकोर्ट
बढ़ी फीस न जमा करने पर छात्रों को स्कूल से नहीं निकाल सकते - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संकट के बीच बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को निजी स्कूल की फीस को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में बढी हुई फीस का भुगतान न करनेवाले विद्यार्थियों को स्कूल में जारी ऑनलाइन अथवा प्रत्यक्ष कक्षाओं में आने से न रोका जाए। अदालत ने स्कूलों को बढी फीस न भरने की स्थिति में विद्यार्थियों के रिजल्ट को रोकने से भी मना किया है। कोर्ट ने साफ किया है कि यह संरक्षण सिर्फ बढी हुई फीस के भुगतान न करने के संदर्भ में है। यह सुरक्षा पूरी मूल फीस को लेकर नहीं है। हाईकोर्ट ने  कहा कि सरकार की ओर से आठ मई 2020 को फीस में बढोतरी करने पर रोक के विषय में जारी किए गए शासनादेश को स्कूलों द्वारा ली गई फीस को वापस करने के रुप में नहीं देखा जा सकता है। इसके अलावा जिन स्कूलों ने आठ मई 2020 से पहले ही अपनी फीस तय कर ली है उन पर सरकार का यह शासनादेश लागू नहीं होगा। इस शासनादेश के आधार पर सरकार की ओर से की गई कार्रवाई को खत्म समझा जाएगा।  

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि कोरोना के चलते पैदा हुई विषय परिस्थितियों के मद्देनजर विद्यार्थियों को यह संरक्षण सिर्फ शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के लिए दी गई है। इसका अर्थ यह नहीं है कि अभिभावकों को अगले साल बकाया फीस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा अथवा अभिभावकों को मूल फीस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। 

कार्रवाई से पहले जाने स्कूल प्रबंधन का पक्ष 

खंडपीठ ने अपने आदेश में साफ किया है कि राज्य सरकार बढी हुई फीस को लेकर मिलनेवाली शिकायतों पर कानून के हिसाब से व महाराष्ट्र एज्युकेशन अधिनियम 2011 तथा संसोधित कानून 2018 के तहत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन इससे पहले स्कूल का पक्ष सुनना जरुरी है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार की ओर से स्कूल के खिलाफ आदेश जारी किया जाता है तो चार सप्ताह तक ऐसे आदेश पर रोक जारी रहेगी।

8 मई को जारी हुआ था शासनादेश  

राज्य सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए 8 मई 2020 को एक शासनादेश जारी किया था। जिसके तहत सभी बोर्ड की निजी स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के दौरान फीस न बढाने का निर्देश जारी किया था। और फीस के भुगतान के लिए अभिभावकों को सहूलियत देने के लिए भी कहा गया था। जिसके खिलाफ एसोसिएशन आफ इंडियन स्कूल सहित कई स्कूलों तथा संगठनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अंतुडकर ने दावा किया कि सरकार के शासनादेश का स्वरुप भावी है। लेकिन सरकार के पास कानूनी रुप से नियमों का उल्लंघन करनेवाले शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है। खंडपीठ ने फिलहाल शासनादेश की वैधता के मुद्दे को खुला रखा है। 

Created On :   2 March 2021 4:38 PM GMT

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