अभिनेता नवाजुद्दीन और उससे अलग रह रही पत्नी को सुझाव- बच्चों से जुड़े मामले सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाएं

Suggestion to actor Nawabzuddin and his estranged wife – Resolve matters related to children amicably
अभिनेता नवाजुद्दीन और उससे अलग रह रही पत्नी को सुझाव- बच्चों से जुड़े मामले सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाएं
हाईकोर्ट अभिनेता नवाजुद्दीन और उससे अलग रह रही पत्नी को सुझाव- बच्चों से जुड़े मामले सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाएं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दकी व उनसे अलग रह रही पत्नी को सुझाव स्वरुप कहा है कि वे दो नाबालिग बच्चों से जुड़े अपने सभी मदभेदों को सौहार्द पूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश करें। हाईकोर्ट में अभिनेता सिद्दकी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में सिद्दीकी ने कोर्ट से आग्रह किया है कि उनसे अलग रह रही पत्नी को इस बात का खुलासा करने का निर्देश दिया जाए कि उनकी 12 साल की बेटी व सात साल के बेटा कहा है। 

न्यायमूर्ति अजय गड़करी व न्यायूर्ति पीडी नाइक की खंडपीठ ने याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद अभिनेता सिद्दकी व उनसे अलग रह रही पत्नी को बच्चों से जुड़े मसले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए कहा। क्योंकि याचिकाकर्ता(सिद्दकी) सिर्फ अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंतित है। इसलिए मामले से जुड़े दोनों पक्षकार आपस में बातचीत करें। जिससे अभिनेता की अपने बच्चों से मुलाकात सुनिश्चित हो सके। यदि मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाता है तो यह बेहतर होगा। 

अभिनेता सिद्दकी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप थोरात ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को यह नहीं पता है कि फिलहाल उनके बच्चे कहा हैं। याचिकाकर्ता(सिद्दकी) को लगता है कि बच्चे दुबई में है। क्योंकि अभिनेता को बच्चों के स्कूल से एक ईमेल मिला है जिसमें कहा गया है कि यदि बच्चे स्कूल में उपस्थित नहीं हुए तो बच्चों को स्कूल से निकाल दिया जाएगा। अधिवक्ता थोरात ने कहा कि याचिकाकर्ता से अलग रह रही उनकी पत्नी दुबई की स्थायी निवासी है। नवंबर 2022 में वह बच्चों के बिना दुबई से भारत आयी थी।

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सिद्दकी से अलग रह रही पत्नी के वकील से बच्चों के बारे में जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि बच्चे अपनी मां के पास हैं। बच्चे अपनी मां से अलग नहीं होना चाहते हैं। दोनों बच्चे भारत में ही रहना चाहते है। वे अपनी पढाई भी यहीं पर जारी रखना चाहते है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम सिर्फ इतना चाहते है कि बच्चों की पढाई न प्रभावित हों। क्योंकि याचिकाकर्ता सिर्फ अपने बच्चों की पढाई को लेकर चिंतिंत है। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 3 मार्च 2023 को रखी है। 

 

Created On :   24 Feb 2023 7:03 PM IST

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