ठाकरे-शिंदे गुट की नबाम रेबिया मामले को लेकर दलील सुन असंमजस में पड़ा सुप्रीम कोर्ट!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना में विभाजन से उत्पन्न संवैधानिक मुद्दों से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई जारी रही। मामले पर गुरुवार को भी सुनवाई चलेगी। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनवाई के दौरान नबाम रेबिया मामले को लेकर ठाकरे और शिंदे गुट के वकीलों की दलीले सुनने के बाद मौखिक रुप से कहा कि निर्णय लेने के लिए यह पेचीदा संवैधानिक मसला है।
ठाकरे गुट की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने 2016 के नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर केस के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए कहा कि इसमें दिया हुआ फैसला दलबदलू विधायकों के पक्ष में जाता है। वे अपने खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही को रोकने के लिए अध्यक्ष को हटाने की मांग करने वाला नोटिस भेज सकते है। वहीं, शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश सालवे और नीरज कौल ने नबाम रेबिया पर पुनर्विचार की आवश्यकता का यह तर्क देते हुए विरोध किया कि यह मुद्दा अब एकेडमिक हो गया है। उद्धव ठाकरे ने विशेष रूप से तब इस्तीफा दे दिया जब उन्हें यह एहसास हो गया था कि वे बहुमत परीक्षण में सफल नहीं होंगे। शिंदे गुट के वकीलों ने यह भी कहा कि स्पीकर को विधायकों को अयोग्य ठहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जब वह खुद हटाने के प्रस्ताव का सामना कर रहे हो।
सीजेआई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी की कि नबाम रेबिया केस के संबंध में दोनों पक्षों के विचारों के गंभीर परिणाम हैं और इसलिए इस पर निर्णय लेना बेहद कठिन हो गया है। सीजेआई ने नीरज कौल को संबोधित करते हुए कहा, इस कारण से जवाब देना एक कठिन संवैधानिक मुद्दा है कि दोनों स्थितियों के परिणामों का राजनीति पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ता है। मामले पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। सुनवाई में इस मुद्दे पर निर्णय होने की संभावना है कि इस मसले को सात जजों की बेंच को भेजा जाए या नहीं।
Created On :   15 Feb 2023 8:51 PM IST