- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- पुलिस की डाकसेवा टपाल पीड़ितों के...
पुलिस की डाकसेवा टपाल पीड़ितों के लिए अहम, लापरवाही से हो रहे नाकाम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘टपाल’ शब्द से आम लोग भले ही परिचित न हों पर यह पुलिस विभाग के लिए काफी अहम है। दरअसल, "टपाल" पुलिस की "डाक" सेवा है। यह सेवा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काफी अहम है, पर इस काम में आना-कानी होने लगी है, जबकि इस सेवा के लिए हर थाने में बाकायदा एक सिपाही नियुक्त है। अधिकांश थानों में यह कार्य महिला सिपाहियों के जिम्मे है।
यहां से सीधा कनेक्शन
थानों व साइड ब्रांचों से रोजाना तकरीबन दो हजार टपाल महत्वपूर्ण विभागों में भेजे जाते हैं। इसमें विशेष पुलिस शाखा, पुलिस आयुक्तालय, पासपोर्ट विभाग, भरोसा सेल और क्राइम ब्रांच प्रमुख रूप से शामिल हैं। पर अब टपाल को पहुंचाने में लापरवाही बरती जाने की शिकायतें मिलने लगी हैं, इससे शिकायतकर्ताओं और पीड़ितों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
रोज निकलते हैं 2 हजार टपाल
सूत्रों के अनुसार, नागपुर शहर के 30 थाने व पुलिस विभाग की कई साइड ब्रांचेज से हर रोज पुलिस टपाल निकलता है। अवकाश का दिन छोड़कर हर रोज लगभग 2 हजार "दस्तावेजों" की टपाल यानी पुलिस डाक निकलती है। अधिकांश महिला सिपाहियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है पर इस काम में आना-कानी होने लगी है। गुमशुदा, महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले की टपाल पहुंचाना बेहद जरूरी होता है। कई बार यह टपाल भी देरी से पहुंचने के कारण जांच कार्रवाई शुरू होने में देर हो जाती है।
इसलिए पड़ा रहता है"टपाल"
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में कुछ पीड़ित महिलाओं को थाने में टपाल नहीं आने से परेशानी का सामना करना पड़ा। आर्थिक अपराध शाखा पुलिस विभाग की महिला उपायुक्त श्वेता खेडकर से ठगी का शिकार हुई कुछ पीड़ित महिलाएं मिलने गईं थीं। व्यथा सुनकर उन्होंने मामला शांतिनगर थाने में भेजने का आदेश दिया। पीड़ित महिलाओं ने राहत भरी सांस ली।
वह मामला, जिसने भेद खोला
शांतिनगर क्षेत्र में रहने वाली जयश्री नामक महिला के पास महिलाओं के एक दल ने कुछ पैसे निवेश किया। उन्हें बताया गया कि उनकी रकम जयश्री कारखाने में निवेश कर रही है। शुरुआत में जयश्री ने उन्हें समय पर वादे के मुताबिक पैसे दिया तो वह लालच में फंस गई। बाद में जयश्री ने महिलाओं को ब्याज व कमीशन देना बंद कर दिया। तब पीड़ित महिलाएं उपायुक्त खेडकर के पास न्याय की आस लेकर पहुंचीं। यहां से उन्हें शांतिनगर थाने यह कहकर भेज दिया गया कि अब वहां के थानेदार शेख इस मामले को देखेंगे।
28 जुलाई 2018 को आर्थिक अपराध शाखा कार्यालय से शांतिनगर थाने में टपाल भेजने के लिए तैयार कर दिया गया। महिलाएं थाने पहुंचीं तो उन्हें पता चला कि टपाल थाने में पहुंचा ही नहीं। जब वह उपायुक्त खेडकर के कार्यालय गईं तब उन्हें बताया गया कि 3-4 बार थाने में फोन किया गया पर कोई टपाल लेने नहीं आया। ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं, जिसमें समय पर टपाल नहीं मिलने से शिकायतकर्ताओं को दर दर की ठाेकरे खाने पर मजबूर होना पड़ता है।
वायरलेस पर करेंगे सूचना जारी
थाने में जिसे टपाल की जिम्मेदारी दी गई है, उसे निभाना ही होगा, अगर कोई अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है तो इस बारे में एक बार वायरलेस पर इसकी सूचना जारी करेंगे। उसके बाद भी सुधार नहीं आया तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।
(शिवाजी बोडखे, तत्कालीन सह पुलिस आयुक्त, शहर नागपुर)
Created On :   22 Aug 2018 12:46 PM IST