अच्छे अंक से उत्तीर्ण हुए थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ित बच्चे, हुआ सम्मान

Thalesamia and sickle suffering students got good marks, honored
अच्छे अंक से उत्तीर्ण हुए थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ित बच्चे, हुआ सम्मान
अच्छे अंक से उत्तीर्ण हुए थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ित बच्चे, हुआ सम्मान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ित स्टूडेंट किसी से कम नहीं हैं। उन्होंने मेहनत कर अलग-अलग विषयों में अच्छे नंबर हासिल किए। उनका मनोबल बढ़ाने के लिए सम्मान किया गया। थैलेसीमिया सोसायटी ऑफ सेंट्रल इंडिया द्वारा संचालित थैलेसीमिया व सिकलसेल सेंटर द्वारा विश्व थैलेसीमिया दिवस का आयोजन किया गया। मंच पर थैलेसीमिया सोसायटी ऑफ सेंट्रल इंडिया के अध्यक्ष डॉ. विंकी रुघवानी, उपाध्यक्ष प्रताप मोटवानी, पी.टी. दारा और सीआरपी नागपुर से जे. इसाक माइकल, पी. कबलेसवरन मौजूद थे। प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। शुरुआत में डॉ. रुघवानी ने थैलेसीमिया व सिकलसेल में लगने वाली दवाइयों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया और सिकलसेल को दिव्यांगों की सूची में शामिल कर दिया गया हैं। विकलांग प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैं। प्रताप मोटवानी ने कहा कि सभी युवक-युवतियों को थैलेसीमिया की जांच शादी से पहले करानी चाहिए। स्कूल व कॉलेजों में भी इसकी  जांच अनिवार्य की जानी चाहिए। सीआरसी नागपुर के जे. इसाक माइकल ने विकलांग प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। हाल ही में हुई परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण हुए थैलेसीमिया व सिकलसेल से पीड़ित बच्चों का स्वागत किया गया।

एग्जाम स्ट्रेस से मिलेगी मुक्ति काउंसिल ने बदला शेड्यूल

इसके अलावा बात सीएस की, कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स जितना मुश्किल होता है, उतना ही टफ एग्जाम शेड्यूल भी होता है। सीएस एग्ज़ीक्यूटिव के स्टूडेंट्स को 9 दिन में आठ पेपर्स देने होते हैं और प्रोफेशनल के स्टूडेंट्स को दस दिन में 9 पेपर देने होते हैं। यदि कोई स्टूडेंट दो ग्रुप की परीक्षा एक साथ दे रहा है, तो उसके लिए यह शेड्यूल बहुत ही तनाव भरा होता है। स्टूडेंट्स ने एग्जाम स्ट्रेस से राहत देने की बात कई बार काउंसिल मेंबर्स से कही थी।आईसीएसआई की मीटिंग के बाद काउंसिल ने एग्जाम शेड्यूल में बदलाव किया है। नए सिस्टम के अनुसार एग्जाम के  कुल दिन तो उतने ही रहेंगे, लेकिन हर दिन अलग ग्रुप का पेपर होगा। इससे स्टूडेंट्स को काफी राहत मिलेगी। दिसंबर 2019 से होने वाली परीक्षा से ये लागू हो जाएगा। अभी एग्जीक्यूटिव के दो ग्रुप के चार-चार सब्जेक्ट की परीक्षा लगातार होती थी। सिर्फ पहले और दूसरे ग्रुप के पेपर्स के बीच एक दिन की छुट्टी स्टूडेंट्स को मिलती थी। दिसंबर के बाद से दोनों ग्रुप के अल्टरनेट पेपर्स होंगे। एक ही ग्रुप की परीक्षा दे रहे स्टूडेंट को हर पेपर में एक छुट्टी मिलेगी। वहीं प्रोफेशनल में भी यही सिस्टम होगा। तीन ग्रुप होने से उन स्टूडेंट्स को दो दिन की छुट्टी मिलेगी, जो एक ही ग्रुप की परीक्षा दे रहे हैं। सीएस में आमतौर पर स्टूडेंट्स एक ही ग्रुप की परीक्षा देते हैं, इसलिए अधिकतर  स्टूडेंट्स को इस बदलाव का फायदा मिलेगा।  जून और दिसंबर में एग्जाम सेंटर्स की कमी के कारण शेड्यूल नहीं बदल पा रहे थे। अब ऐसा सिस्टम बनाया है कि परीक्षा के कुल दिन भी उतने ही रहेंगे और बच्चों को छुटि्टयां भी मिल जाएंगी। इस बदलाव का मकसद सिर्फ स्टूडेंट्स को एग्जाम स्ट्रेस से बचाना है। 

कराटे खिलाड़ियों को मिली आर्थिक मदद

उधर पारडी में रहने वाले प्रदीप साहू और लांबटकर का सातवें इन्डो नेपाल चैम्पियनशिप के लिए काठमांडू नेपाल में होनेवाले कराटे स्पर्धा के लिए मुंबई में चयन हुआ। दोनों खिलाड़ियों की आर्थिक परिस्थिति ठीक नहीं होने के कारण परिवारवालों ने स्पर्धा में भाग लेने से मना कर दिया था। इसके बाद खिलाड़ियों ने सामाजिक और राजकीय प्रतिनिधि से आर्थिक मदद मांगी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। सेन्साई प्रशिक्षक नंदकिशोर साकोरे, जो बच्चों को पिछले सात वर्ष से नि:शुल्क प्रशिक्षण में दे रहे हैं ने खिलाड़ियों की मदद करने की ठानी। फिर उन्होंने अपने मित्र लंकेश कनोजे और उनकी समिति के पदाधिकारियों से खिलाड़ियो से बच्चों की मुलाकत करवाकर चैम्पियनशिप का खर्च के लिए नागरिक सेवा समिति की सहमति दिलाई।  खिलाड़ियों ने नागरिक सेवा समिति का आभार माना। इस अवसर पर यारेन्द्र रहांगडाले, शंकर कावले, अजय पुलेवाले, गुलाब टिचकुले, कृष्णा कामडी, धर्मेन्द्र डहरवाल, देवनारायण साहू, चक्रधर अतकरे, पिंटू खंते आदि उपस्थित थे। 

Created On :   12 May 2019 6:37 PM IST

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