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सर्वे के बाद भी लाभ से वंचित हैं 38 हजार बैगा
डिजिटल डेस्क शहडोल । जिले की अत्यंत पिछड़ी बैगा जनजाति का जीवन स्तर सुधारने तथा उसे मुख्य धारा से जोडऩे सरकार वर्षों से प्रयासरत है। वह इनके लिए विशेष योजनाएं संचालित कर बैगा विकास अभिकरण के माध्यम से लाभ दिलाती है। लेकिन उसका प्रयास आज भी केवल सोहागपुर व गोहपारू दो विकास खण्डों में निवासरत 50 हजार की आबादी तक सिमटा हुआ है। जबकि इस जनजाति के 38 हजार 180 लोग आज भी उपेक्षित और लाभ से वंचित हैं। यह जनसंख्या सन् 2012 में शासन द्वारा कराए गए जिले के बेसलाइन सर्वे में ज्ञात हुई। सर्वे के बाद कार्रवाई शिथिल पड़ गई इन्हे चयनित गांवों की सूची में शामिल नहीं किया गया। इनमें सोहागपुर तथा गोहपारू के पूर्व से शामिल गांवों को शामिल नहीं किया गया है।
पूर्व के चिन्हित गांव
योजना के शुरुआती समय में अब से करीब 20 वर्ष पूर्व सरकार ने बैगा बाहुल्य गांवों का सर्वे कराया था। जिसमें सोहागपुर के 104 गांव तथा गोहपारू के 69 गांव इस श्रेणी में मिले थे। यहां कुल 11360 बैगा परिवार निवासरत हैं, जिनकी जनसंख्या 50 हजार है। शासन द्वारा संचालित शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व कृषि संबंधी योजनाओं का लाभ केवल इन्हे ही मिल रहा है।
यह है बेसलाइन सर्वे की स्थिति
5 वर्ष पूर्व हुए इस सर्वे में सोहागपुर में 30 गांवों मेें बैगा आबादी पायी गई। जिसमें 1990 बैगा परिवारों में 6230 लोग निवास करते हैं। बुढ़ार के 78 गांवों में 3022 परिवारों में 10376 लोग निवास करतेे हैं। गोहपारू में नए 22 गांव चिन्हित हुए जिसमें 896 परिवारों में 2918 लोग निवास कर रहे हैं। जयसिंहनगर के 95 गांवों में बैगा जाति निवास कर रही है। यहां 4657 परिवारों में 17615 लोग निवास कर रहे हैं। ब्यौहारी के 17 गांवों में 549 बैगा परिवार निवासरत हैं, जिनमें निवासरत जनसंख्या 1941 है। यह आबादी आज भी बैगा अभिकरण से प्राप्त होने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं ले पा रही है।
जानकारियां भेजीं कार्रवाई नहीं हुई
बताया गया कि प्रशासन द्वारा किए गए सर्वे के बाद जानकारियां शासन को भेजी गई थी। लेकिन शासन स्तर से पूर्व चयनित गांवों की सूची में इन गांवों की आबादी को शामिल नहीं किया गया। इसलिए स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। जबकि योजनाओं का विस्तार होना चाहिए और इन निर्धन लोगों को भी बैगा बाहुल्य गांवों के चयनित बैगा परिवारों के समतुल्य लाभ मिलना चाहिए। सर्वे कराने के पीछे शासन की मंशा यही थी।
इनका कहना है
शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ है।
नरोत्तम बरकड़े एसी, ट्रायबल
Created On :   16 Dec 2017 1:26 PM IST