'आपराधिक मामले से बरी होने के बाद भी व्यक्ति न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के योग्य नहीं'

The person who is acquitted of charges can not become a judge
'आपराधिक मामले से बरी होने के बाद भी व्यक्ति न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के योग्य नहीं'
'आपराधिक मामले से बरी होने के बाद भी व्यक्ति न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के योग्य नहीं'

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गंभीर आपराधिक मामले से बरी होने के बाद भी व्यक्ति न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के योग्य नहीं हो सकता है। न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए व्यक्ति का चाल-चलन और चरित्र दोनों ऊंचा होना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। मामला सिविल जज जूनियर डिवीजन व महानगरीय दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पद पर नियुक्ति के लिए चुने गए मोहम्मद इमरान से जुडा हैं। महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग ने न्यायाधीश पद नियुक्ति के लिए  इमरान के नाम की सिफारिश की थी, लेकिन इस पद के लिए चुने गए उम्मीदवारों की सूची से इमरान का नाम सिर्फ इसलिए हटा दिया क्योंकि पुलिस ने उसके संबंध में नकारात्मक रिपोर्ट सौंपी थी। इमरान ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

खंडपीठ के सामने हुई याचिका पर सुनवाई

न्यायमूर्ति वासंती नाईक और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राम आप्टे ने कहा कि जिस वक्त मेरे मुवक्किल की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी उसी समय मेरे मुवक्किल ने खुद पर दर्ज आपराधिक मामले व उसमे बरी होने की जानकारी नियुक्ति से जुड़ी कमेटी को दी थी। अब उसे आपराधिक मामले को लेकर मेरे मुवक्किल को नियुक्ति से वंचित करना उचित नहीं है। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि नैतिकता के अाधार पर न्यायाधीश पद पर नियुक्ति होने वाले व्यक्ति का चरित्र काफी ऊंचा होना चाहिए। उसकी गतिविधयां व पृष्ठभूमि अच्छी होनी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद व याचिकाकर्ता को बरी करने के फैसले पर गौर करने के बाद पाया की याचिकाकर्ता एक नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले में आरोपी था। जिसके साथ दुष्कर्म होने की संभावना व्यक्त की गई थी। 


याचिकाकर्ता और अन्य आरोपी आपराधिक मामले से हुए बरी

नाबालिग लड़की के अपने बयान से मुकर जाने के चलते याचिकाकर्ता और अन्य आरोपी आपराधिक मामले से बरी हुए हैं। खंडपीठ ने सरकारी वकील की उस दलील पर सहमति जाहिर करते हुए कहा कि न्यायाधीश पद पर नियुक्ति होने वाले व्यक्ति का चरित्र ऊंचा व गतिविधियां अच्छी होनी चाहिए। इस लिहाज से हमें याचिकाकर्ता का नाम न्यायाधीश पद के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची से हटाने के सरकार के निर्णय में कोई खामी नजर नहीं आती। याचिकाकर्ता को हम राहत नहीं दे सकते हैं। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।

Created On :   3 Jan 2018 1:43 PM GMT

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