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जवाबदेही तय करने ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन जरूरी, 4 सप्ताह में पूरी करें प्रक्रिया - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर प्रदेश में दौड़ रहे ई-रिक्शा का पंजीयन करने को कहा है। दरअसल ई-रिक्शा चलाने के लिए लाइसेंस देने के असमंजस से जुड़ी इस याचिका पर सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि, ई-रिक्शा चलाने के लिए किसी भी प्रकार के लाइसेंस की जरूरत नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट ने अपने निरीक्षण में पाया कि, ई-रिक्शा चलाने के लिए लाइसेंस भले ही जरूरी न हो, लेकिन दुर्घटना होने, इंश्योरेंस क्लेम करने या यात्रियों की सुरक्षा की जवाबदेही तय करने के लिए ई-रिक्शा का पंजीयन जरूरी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में यह कार्रवाई पूरी करने और ई-रिक्शा से जुड़े मोटर वाहन अधिनियम में हुए संशोधन को लागू करने के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला
हाईकोर्ट में अनिल टेंभेकर ने यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, देश के 6 राज्यों ने ई-रिक्शा संबंधी मोटर वाहन अधिनियम लागू किया है। महाराष्ट्र ने पूरी तरह यह अधिनियम नहीं अपनाया। पूर्व में मोटर वाहन अधिनियम में ई-रिक्शा के संबंध में केंद्र के कोई दिशा-निर्देश नहीं थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2015 में ही मोटर वाहन एक्ट में संशोधन कर लिया था, जिसमें ई-रिक्शा का विशेष रूप से उल्लेख था। साथ ही यात्रियों के लिए सुरक्षा मानकों का भी जिक्र था। लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र के इस संशोधन को लागू करने में खासा विलंब कर दिया। राज्य सरकार ने केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ई-रिक्शा का डिजाइन तैयार नहीं किया। साथ ही इसके लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन को लेकर भी असमंजस बना रहा। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में यह मुद्दा उठता रहा कि, राज्य मंे दौड़ने वाले ई-रिक्शा से यात्रियों की जान को धोखा है और सरकार इसके प्रति लापरवाही भरा रुख अपना रही है। ऐसे में अब हाईकोर्ट ने यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से ई-रिक्शा के पंजीयन को अनिवार्य किया है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा।
Created On :   24 Jan 2018 10:52 PM IST