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संस्कारों पर टिकी होती है परिवार की एकता
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। संयुक्त परिवार में बच्चों पर अच्छे संस्कार होते है। वहीं एक दूसरे के प्रति संवेदनशिलता बनी रहती है और भावनाओं का आदान प्रदान जारी रहता है। जिससे किसी भी संकट के समय एक-दूसरे के साथ खड़े होकर बड़े से बड़े संकट से निपटा जा सकता हंै। ऐसा कहना है ग्राम करंजी निवासी 75 वर्षीय मुंगाबाई मोहनलाल शेंडे का।
Q-आपके जिद़्गी का सबसे महत्वपूर्ण वह कौनसा पल था, जिसमें आपने सफलता समझा और वह किस तरह आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करता है?
गरीबी में दिन गुजारे, पति ने बेहद मेहनत कर परिवार चलाया। मुझे तीन बेटे थे, जिसमें से एक बेटे का दु:खद निधन हो गया। वह दिन काटना मेरे लिए बेहद मुश्किल रहा। शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात मेरे दोनों बेटे किसानी के साथ-साथ बिल्डींग मटेरियल का व्यवसाय करते हैं एवं मेरा पोता भी इसमें हाथ बटाता है। जिससे परिवार का पालन-पोषण सरलता से हो रहा हंै। उन्हीं की एकता के कारण हम सब आज एक हंै। इससे यह सीख मिलती है कि परिवार में एकता की भावना हो तो कभी भी परिवार अलग नहीं होता।
Q-आपने जो अपनी विरासत संजोई है और जिंदगी में जो अनुभव प्राप्त किए है, वे किस तरह भविष्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते है?
अपने दोनों पुत्र के परिवार को एक छत्र में बनाए रखने में मैं सफल रहीं। परिवार की एकता एवं अखंडता ही हमारी विरासत है। जिंदगी में जो अनुभव मिलें हंै, उनसे भविष्य को बेहतर बनाने में मदद मिली हंै। परिवार का हर सदस्य एक-दूसरे से अपना अनुभव एवं विचार आदान-प्रदान करता है। सभी की एकता को देख मुझे बड़ी खुशी मिलती है।
Q-अपने शहर, समाज और देश के लिए अब क्या करना चाहते है और यह भी बताईए कि आज की पीढी को क्या करने की जरुरत है?
चाहे घर हो, समाज हो या फिर देश, सभी में एकजुटता होने की जरुरत है। समाज में भाईचारा निर्माण करना सभी का लक्ष्य होना चाहिए।
एकता के साथ ही समाज में नशामुक्ति के लिए जागृति पर ध्यान देने की जरुरत है। इसी दिशा में हम कार्य कर रहे है।
Created On :   31 Oct 2021 6:18 PM IST