हेलीपैड से ऐतराज नहीं पर गांव में सड़क भी हो

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि हमें गांव में हेलीपैड से ऐतराज नहीं लेकिन गांव में सड़क भी चाहिए। जिससे बच्चे असानी से स्कूल अथवा कालेज पहुंच कर अपनी पढाई पूरी कर सके और समाज की मदद कर सके। हाईकोर्ट ने कठिन यात्रा कर स्कूल पहुंचनेवाली सातरा जिले में स्थित खिरखिंदी गांव की लड़कियों की दयनीय स्थिति के मद्देनजर उपरोक्त टिप्पणी की है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को संबंधित अधिकारियों व लोगों से चर्चा कर 30 अगस्त तक इस मुद्दे का सामाधान निकालने का निर्देश दिया हैं। संयोगवश राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सातारा के हैं और वहां पर दो हेलीपैड है।
न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसडी कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहां कि गांव में हेलीपैड है। लेकिन वहां बुनियादी सुविधा मानी जानेवाली सड़क व पुल नहीं है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने नाव से यात्रा कर घने जंगलों के बीच से गुजर कर स्कूल जाने के लिए मजबूर लड़कियों को लेकर आयी खबर का स्वतः संज्ञान लिया था।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि नागरिकों को अच्छी सड़के प्रदान करना राज्य सरकार का दायित्व है। जिससे बच्चे बिना किसी परेशानी के अपने शैक्षणिक संस्थान तक पहुंच सके। हम सिर्फ इतना चाहते है कि राज्य सरकार इस मामले में सकारात्मक व हर संभव कदम उठाए और छात्राओं की परेशानी का सामाधान निकाले। खंडपीठ ने राज्य सरकार को 30 अगस्त को इस मुद्दे के समाधान को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हलफनामें के साथ रिपोर्ट देनेवाला अधिकारी उप सचिव से नीचे नहीं होना चाहिए।
मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता संजीव कदम ने पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ के सामने हलफनामा दायर कर छात्राओं की परेशानी के समाधान के लिए कई सुझाव दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने लड़कियों को मोटरबोट मिलने की भी जानकारी दी थी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस मामले से कई पहूल जुड़े है लिहाजा हम राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश देते है कि वे मामले से जुड़े संबंधित विभाग के अधिरकारियों के साथ बैठक करे और छात्राओं की परेशानी का हल निकाले।
Created On :   14 July 2022 8:58 PM IST