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डीजीएमएस व वेकोलि अधिकारी के कारण खतरे में हजारों की जान, सुरक्षा को लेकर प्रशासन का अड़ियल रवैया

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर . विगत दिनों घुग्घुस के अमराई वार्ड में हुई भूस्खलन की घटना ने सभी को झकझोर दिया है। घटना के कारण खदान व सुरक्षा का गंभीर सवाल भी उपस्थित हो गया है। खदान सुरक्षा महानिर्देशालय के नियमों को ताक पर रखकर खदानों से कोयले का उत्खनन किया जा रहा है,जिससे हादसे बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन डीजीएमएस के वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी व वेकोलि के साथ मिलीभगत होने की वजह से आए दिन हो रहे हादसों से नकोड़ा-घुग्घुसवासी दहल गए हैं।
1815 से शुरू हुई थीं खदानें
जानकारी के अनुसार वर्धा वैली के वणी वेकोलि क्षेत्र की परियोजना में सन 1815 से लेकर 1974 तक चार अंडरग्राउंड माइन शुरू हुईं थी, जो 2002 तक चली हैं। सर्वप्रथम घुग्घुस क्षेत्र के नकोड़ा गांव में वर्ष 1978-79 में पहली ओपन कास्ट खदान खोली गई थी। उस समय केवल अंडरग्राउंड कोयले का उत्खनन शुरू था। अंडर रॉबट सन्स इनक्लाइन 1 नं. खदान, 1815 में शुरू हुई थी, जिसके बाद 1818 में पिट्स खदान नं.2, 1970 में नकोड़ा खदान नं.3 तथा 1974 में बेलोरा कोयला खदान नं 4 शुरू हुई थी। इन अंडरग्राउंड माइन्स से कोयला मजदूरों के माध्यम से बगैर मशीनों से लाखों टन कोयले की ढुलाई की जाती थी। इसके बाद ओपन कास्ट माइन्स की शुरुआत हुई। 1979 में पहली बार नकोड़ा ओपन कास्ट व 1985 में घुग्घुस की जीओसी खदान खोली गई।
आम नागरिकों की सुरक्षा व जान खतरे में
जानकारों के अनुसार जहां पर भी अंडरग्राउंड माइन्स शुरू है, वहां यदि ओपन कास्ट माइन्स शुरू की जाती है, तो भूस्खलन के हादसे होने की आशंका अधिक होती है जबकि अंडर ग्राउंड माइन्स में लगातार आग जलती रहती है। लेकिन कोल कंपनी अपना उत्पादन तथा राजस्व बढ़ाने के चलते सभी नियमों का उल्लंघन कर तथा सभी स्तर पर साठगांठ कर माइन्स चलाते हैं, जिससे लोगों की जान को खतरा बना रहता है।
खदानों के ऊपर बसा है शहर
वर्ष 1995 से बंद खदान के उपर घुग्घुस शहर बसा है। खदान बंद होने पर संपूर्ण क्षेत्र को फैनसिंग की जाती हैै। अंडरग्राउंड माइन्स हो या फिर ओपन कास्ट वेकोिल द्वारा डीजीएमएस को क्लोजर प्लॅन सबमिट करने पर संपूर्ण क्षेत्र को फैनसिंग द्वारा व क्षेत्र को प्रतिबंधित किया जाता है। बंद अंडरग्राउंड माइन्स को संपूर्ण रूप से रेत भरकर बंद किया जाता है, तथा ओपन कास्ट खदान को भी ओवर बर्डन के माध्यम से समतल करना आवश्यक है लेकिन हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही हैं। खुली खदान पूरी तरह खुली होकर खदान के गड्ढों में बड़े पैमाने पर पानी जमा होकर तालाब बना हुआ है,जिससे कई लोगों के साथ मवेशियों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। इसके बावजूद वेकोलि प्रशासन अनदेखी करता नजर आ रहा है।
क्षेत्र सुरक्षित करना आवश्यक
नियम के अनुसार किसी कोयला खदान का कोयला उत्खनन कार्य पूर्ण हुआ तो, उस खदान क्षेत्र को सुरक्षा की दृष्टि से (कुंपन) सुरक्षा कटघरा लगाना आवश्यक है। जबिक वेकोलि खदान प्रशासन खदान से उत्खनन होने के बाद उस खदान को खुले में छोड़ देती है। सुरक्षा के लिए कोई प्रबंध नहीं करती जिसके कारण हादसे होते रहते हंै। वर्ष 2016 में जीओसी खदान को क्लोजर दिया गया। लेकिन जमीनी हकिकत कुछ ओर है। अभी भी खुली खदान पूरी तरह खुली ही है। केवल कागजों पर इसे क्लोजर दिया गया है, जिससे शहर से सटकर बड़े-बड़े टीले लगे हुए हैं। इन टीलों के भूस्खलन से भी दुर्घटनाएं होती हैं, तो गंदा पानी नदी में बह रहा है, जिससे जल प्रदूषण भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।
खदानों में दो प्रकार से होता है कार्य
वेकोलि के कोयला खदानों में दो प्रकार से उत्खनन का कार्य होता है। अंडरग्राउंड माइन्स में बॉटमसिम व टॉपसिम के माध्यम से कोयले का उत्खनन होता है। प्रथम कोयला बॉटमसिम के माध्यम से निकाला जाता है। इसके बाद टॉपसिम से कोयला निकाला जाता है। जानकारी के अनुसार हाल ही में घुग्घुस के अमराई वार्ड में जो मकान जमीन में धंसने का हादसा हुआ है वह बॉटमसिम गिरने की वजह से होने का अनुमान लगाया जा रहा है। क्योंकि यह गड्ढा जिस तरीके से लगभग 100 फीट गहरा हुआ है, और मकान ही नजर नहीं आया इसका मतलब बॉटमसिम गिरने के बाद टॉपसिम गिरने से यह बड़ा हादसा हुआ।
खदानों की उचित जांच होनी चाहिए
वेकोलि के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। कभी भी कोयला खदानों के भूस्खलन जैसी घटनाओं से लोगों की जान जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसकी गंभीर जांच होनी चाहिए। यह सरासर वेकोिल माइन्स के नियमों का उल्लंघन हो रहा है। वेकोिल व जिलाधिकारी ने उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए।
-विनेश कलवल, सामाजिक कार्यकर्ता, घुग्घुस
जांच चल रही है
अभी इंक्वायरी चल रही है। रेत फिलअप करना हर माइन्स के लिए जरूरी नहीं है। यह माइन्स बहुत पुरानी है। डीजीएमएस आने के पहले की है, हमारे पास इतने डाक्यूमेंट्स नहीं है। 50 से 60 साल हो गया है। मौसम की वजह से भी हो सकता है।
-सागेश कुमार, डायरेक्टर, डीजीएमएस, नागपुर
मिलकर विस्तृत बात कर सकते हैं
आप ऑफिस में आइये, मैं फोन पर आपको नहीं बोल सकता। आपसे मुझे डिटेल्स में बात करनी पड़ेगी, क्योंकि मैटर सेंसिटिव है।
-आभासचंद्र सिंह, महाप्रबंधक, वणी वेकोलि क्षेत्र
Created On :   14 Sept 2022 10:10 PM IST