ठगों ने आर्मी ऑफिसर बनकर साढ़े छह माह में की 53 ठगी

Thugs made 53 frauds in six and a half months by becoming army officers
ठगों ने आर्मी ऑफिसर बनकर साढ़े छह माह में की 53 ठगी
भांडाफोड़ ठगों ने आर्मी ऑफिसर बनकर साढ़े छह माह में की 53 ठगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. फेसबुक पर पानी की टंकी बेचने का विज्ञापन देना एक युवक को महंगा पड़ गया। स्वयं को आर्मी ऑफिसर निरुपित कर मंजीत नामक शख्स ने पानी की टंकी खरीदने का झांसा देते हुए पीड़ित बहादुरा निवासी रोशन उमरकर के खाते में 1 रुपया जमा किया और क्यूआर कोड भेजकर उसके बैंक खाते से 27999 रुपए निकाल लिए। ऑनलाइन ठगी के इस मामले की जब साइबर सेल में शिकायत की गई, तो पता चला कि पिछले साढ़े छह माह में आर्मी आॅफिसर बनकर ठगबाजों ने 53 लोगों को 17 लाख 15 हजार 439 रुपए का चूना लगाया है। लेकिन एक भी आरोपी पकड़ा नहीं जा सका है।

जांच के दौरान साइबर सेल के अधिकारियों द्वारा आरोपियों के मोबाइल नंबर के जरिए उन तक पहुंचने का प्रयास किया गया, तब पता चला कि मोबाइल का लोकेशन किसी दूसरे राज्यों में हैं। मोबाइल धारकों का नाम भी फर्जी मिला। जिस बैंक खाते में ऑनलाइन रकम ट्रांसफर हुई, वह रकम भी वापस नहीं मिली। बैंक खातों की पड़ताल करने पर खाताधारकों का नाम भी फर्जी निकला। दूसरी ओर ट्रांसफर हुई रकम आरोपियों द्वारा तत्काल खर्च करने की भी जानकारी मिली। ठगबाजों से एक रुपए भी वापस नहीं मिला।

बैंकों का सहयोग नहीं मिलने से आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर
बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, बिहार से तार जुड़े होने की आशंका

देशभर में हजारों लाेगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाने वालों के तार बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल व बिहार से जुड़े होने की जानकारी मिली है। पुलिस के मुताबिक देशभर में फर्जी सिमकार्ड का जाल बिछा हुआ है। नामी कंपनियों द्वारा जारी इन सिमकार्डों के धारकों का नाम व पता फर्जी होता है। मोबाइल कंपनियां सिमकार्ड जारी तो कर रहीं हैं, लेकिन केवायसी जांच सटीक नहीं है। यही कारण है कि पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में नाकाम हो रही है।

समय रहते बैंक खातों से वापस हो सकता है पैसा
पुलिस के अनुसार ऑनलाइन ठगी में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ठगी के जरिए हथियाई गई रकम किसी न किसी बैंक खाते में ट्रांसफर होती है। समय रहते इन बैंक खातों से पैसा वापस ट्रांसफर किया जा सकता है, लेकिन बैंक प्रबंधन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण पुलिस विभाग हाथ मलते रह जाता है। पुलिस विभाग ऐसे खाताधारकों तक इसलिए भी नहीं पहुंच पाता, क्योंकि खाता खोलने के लिए उपयोग में लाए गए आधार कार्ड, फोटो, निवास का पता, माेबाइल क्रमांक व अन्य दस्तावेज फर्जी होते हैं।
 

Created On :   22 July 2022 4:56 PM IST

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