बाघ ने मारा पंजा, पेड़ पर चढ़कर बचाई जान - विजयराघवगढ़ क्षेत्र में पंद्रह दिनों से बाघ की दहशत,खौफ में जी रहे लोग

डिजिटल डेस्क विजयराघवगढ/कटनी । विजयराघवगढ़ रेंज के घुघरी गांव में बाघ के हमले से महिला की मौत का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि शुक्रवार 14 फरवरी को फिर से इसी रेंज के टिकरिया में एक ग्रामीण बाघ के हमले से घायल हो गया। पीठ पर बाघ का पंजा पडऩे के बाद भी ग्रामीण रामरतन पिता हीरालाल राजपूत उम्र 56 वर्ष ने साहस नहीं खोया। बाघ का पंजा पड़ते ही वह समीपस्थ बबूल के पेड़ पर चढ़ गया। जिससे उसकी जान बची। घटना शाम तीन से चार बजे के बीच की बताई जा रही है। जानकारी लगने पर वन विभाग के अफसर टिकरिया में पहुंचे लेकिन अंधेरा होने पर जंगल में अंदर की तरफ जाने का साहस वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी नहीं जुटा पाए। दैनिक भास्कर ने पहले ही इस संबंध में आशंका व्यक्त की थी। विभाग की लापरवाही से यह ग्रामीण दहशत के साए में जी रहे हैं। ग्रामीण अपने खेेत गया था और वहीं पर यह घटना घट गई ।
पंद्रह मिनट तक दहशत
टिकरिया निवासी रामरतन बाघ के खौफ में करीब पंद्रह मिनट रहा। ग्रामीणों के बताए अनुसार बाघ के हमले के बाद जब घायल पेड़ में चढ़ गया। उसके बाद बाघ पेड़ के आसपास ही घूमता रहा। पेड़ में चढ़ा रामरतन चुपचाप एक जगह पर बैठा रहा, ताकि बाघ की नजरों से वह बच सके। यहां पर दस से पंद्रह मिनट तक बाघ की चहल-कदमी बनीं रही। इस दौरान ग्रामीण की जान अटकी रही। बाघ जब यहां से चला गया तब घायल ग्रामीण ने अपने साथियों को आवाज दी। जिसके बाद वह पेढ़ से उतरा।
सर्चिंग में नहीं मिली सफलता
बाघ के हमले की जानकारी मिलने के बाद वन विभाग के अफसर दल के साथ यहां पहुंचे। शाम को टिकरिया के आसपास सर्चिंग अभियान भी चलाया गया। इसके बावजूद वन विभाग को किसी तरह की सफलता नहीं मिली। जंगल की तरफ अंधेरा होने के कारण वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी वापस आ गए साथ ही ग्रामीणों को सचेत किया है कि फिलहाल वे जंगल की तरफ न जांए।
दस दिन में दूसरी घटना
फरवरी माह के अंदर ही यह दूसरी घटना है। जब बाघ ने किसी ग्रामीण पर हमला बोला हो। इसके पहले तीन फरवरी को घुघरी में बाघ ने महिला की जान ले ली थी। बाघ का पता वन विभाग लगा पाता कि 5 फरवरी को बरेहटा क्षेत्र में शावक के साथ बाघिन दिखाई दी। जिसके बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल निर्मित हो गया। आठ दिन बाद फिर से बाघ की आहट से ग्रामीणों में भय व्याप्त है।
जवाब देने से बचते रहे अधिकारी
इस संबंध में डीएफओ और एसडीओ जवाब देने से बचने के लिए मोबाइल ही बंद किए रहे। डीएफओ का मोबाइल बंद रहा तो एसडीओ ओपी सिंह बघेल मोबाइल में घंटी सुनते रहे।
Created On :   15 Feb 2020 1:52 PM IST