भोजन की तलाश में ग्रामीणों पर हमला कर रहे हैं बाघ

Tigers are attacking on the villagers during searching of food
भोजन की तलाश में ग्रामीणों पर हमला कर रहे हैं बाघ
भोजन की तलाश में ग्रामीणों पर हमला कर रहे हैं बाघ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के यवतमाल स्थित पांढरकवड़ा वन्यक्षेत्र के विकास का मुद्दा मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में उठा। याचिकाकर्ता सरिता सुब्रमण्यम ने कोर्ट में अर्जी दायर करके यह मुद्दा उठाया। कोर्ट ने इस प्रकरण में कंपेनसेट्री अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (कैंपा) को प्रतिवादी बनाकर नोटिस जारी किया है। चार सप्ताह में कैंपा को अपना जवाब कोर्ट में प्रस्तुत करना होगा।

याचिकाकर्ता के अनुसार, टिपेश्वर के जंगलों में बीते कुछ दिनों में बाघों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में अपने नए इलाकों की तलाश में बाघ जंगलों से बाहर निकल रहे हैं। अब चूंकि जंगल कम हैं। वन विभाग और प्रशासन ने जंगलों की वृद्धि के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, लिहाजा बाघों और इंसानों का आमना-सामना बढ़ रहा है। जब भी वन्यक्षेत्र के पेड़ों की कटाई करके जंगल को छोटा किया जाता है, इसके बदले नए पौधे लगाने के लिए कंपेनसेट्री अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी को फंड मिलता है।

इस फंड को उन्हें नए जंगल के विकास में लगाना पड़ता है, लेकिन पांढरकवड़ा में इस तरह की कोई योजना नहीं है। यहां होने वाली दुघर्टनाओं को देखते हुए जंगल का विकास जरूरी है। ऐसे में मामले में कैंपा को प्रतिवादी बनाने की विनती याचिकाकर्ता ने की थी। 

बता दें कि विदर्भ में बाघ पर्यटन भारतीय और विदेशी नागरिकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है, लेकिन आए दिन बाघ और मनुष्यों के आमना सामना होने की घटनाओं ने वन क्षेत्र के नजदीक के गांवों में दहशत फैला रखी है। बाघों द्वारा लगातार मनुष्यों के शिकार की घटनाओं के जवाब में वन विभाग या तो बाघ को नरभक्षी घोषित कर गोली मार देने या फिर उन्हें बेहोश करके पकड़ने के आदेश जारी करता है। इसे लेकर ही वन्य प्रेमियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.आर.एल.खापरे ने पक्ष रखा। 

Created On :   25 July 2018 4:18 PM IST

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