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हाईकोर्ट ने पूछा- होमियोपैथी डॉक्टर किस हद तक कर सकते हैं एलोपैथिक मेडिसिन पर प्रैक्टिस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। होमियोपैथी डाक्टर मार्डन फर्माकोलॉजी का एक साल का कोर्स पूरा करने के बाद किस हद तक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकते है। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस विषय पर स्पष्टीकरण जारी करने को कहा है। हाईकोर्ट ने यह बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (पुणे ब्रांच) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में मुख्य रुप से साल 2014 में कानून में किए गए संसोधन को चुनौती दी गई है जिसके तहत होमियोंपैथिक डाक्टरों को मार्डन फर्माकोलाजी का एक साल का कोर्स पूरा करने के बाद एक हद तक एलोपैथिक मेडिसिन के प्रैक्टिस करने की इजाजत दी है। याचिका में दावा किया गया है कि होमियोपैथिक डाक्टरों को एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस करने की अनुमति देना सार्वजनिक स्वास्थय के लिए खतरा साबित हो सकता है। यह मरीज के हित में नहीं है। लिहाजा इस अनुमति पर रोक लगाई जाए।
बुधवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी।
याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार की मंशा होमियोपैथिक डाक्टरों को एक सीमित सीमा तक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस करने की छूट देने की है। ताकि उनकी सेवाओं को ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ली जा सके। क्योंकि एमबीबीएस करनेवाले डाक्टर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सेवा देने के लिए उपलब्ध नहीं होते है। लेकिन होमियोपैथिक डाक्टर मार्डन फर्मोकोलाजी का कोर्स करने के बाद किस तरह की एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस करेगे इस पर नजर व नियंत्रण रखना कठीन है।
यह बेहद जटिल मामला है लेकिन सरकार ने इसे हल्के में लिया है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार स्पटीकरण कर यह साफ करे की एक साल का कोर्स करने के बाद होमोयोपैथी डाक्टर किस हद तक एलोपैथिक मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकते है? क्योंकि मौजूदा कानून में इसका उल्लेख नहीं है। खंडपीठ ने सरकारी वकील प्रियभूषण काकडे से कहा कि सरकार इस मामले में अखबारों में स्पष्टीकरण जारी करे अन्यथा अगली सुनवाई के दौरान हम आदेश जारी करेगे। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें निर्देश लेने के लिए थोड़ा वक्त दिया जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 24 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   29 Jan 2020 7:27 PM IST