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ऑटो चालक की याचिका पर ट्रैफिक पुलिस की किरकिरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक ऑटो चालक द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर याचिका पर यातायात पुलिस विभाग की जमकर किरकिरी हुई है। हाईकोर्ट में यह साबित हुआ कि यातायात पुलिस को कानून की सही धाराओं के साथ साथ कार्रवाई-पत्र तैयार करने जैसा सामान्य ज्ञान भी नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले में न केवल यातायात पुलिस द्वारा ऑटो व आरसी जब्ती की कार्रवाई को अवैध माना, बल्कि ऑटोचालक के खिलाफ यातायत पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले को भी खारिज कर दिया।
इस कारण कार्रवाई
गत 26 मार्च 2019 को यातायात पुलिस ने नितीन मोटघरे (35,म्हाडा कॉलोनी) के ऑटो को अलंकार टॉकिज चौक के पास रोका। उस पर पुलिस ने मोटर व्हीकल अधिनियम धारा 66 व 192 के तहत यह मामला दर्ज किया कि वह अवैध सवारियों को ऑटो में बैठा कर ले जा रहा था। यातायात पुलिस ने ऑटो के साथ आरसी भी जब्त कर ली। अगले दिन ऑटो तो छोड़ दिया, लेकिन आरसी नहीं लौटाई गई।
कार्रवाई को चुनौती : ऑटो चालक ने पुलिस की इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उसके वकील की दलील थी कि ऑटोचालक ने मोटर व्हीकल की किसी भी धारा का उल्लंघन नहीं किया। यातायात पुलिस ने उसके खिलाफ अवैध कार्रवाई की है। अवैध सवारियों को यदि पुलिस यह कहना चाहती है कि वह तय क्षमता से ज्यादा सवारियां ले जा रहा था, तब पुलिस को कार्रवाई-पत्र में यह लिखना चाहिए था कि घटना के वक्त ऑटो में कितनी सवारियां थीं?
आरसी लौटाने के आदेश
हाईकोर्ट ने यातायात पुलिस के कानूनी ज्ञान पर भी सवाल खड़े किए। दरअसल, मोटर व्हीकल अधिनियम की धारा 66 जरूरी परमिट होने और धारा 192 बगैर आरसी के वाहन चलाने पर सजा की बात करता है, लेकिन यातायात पुलिस ने अपने मेमो में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा। उलट यह साबित हुआ है कि ऑटोचालक के पास आरसी थी, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया था। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने यातायात पुलिस की कार्रवाई रद्द करते हुए ऑटोचालक को मामले से बरी कर दिया। यातायात पुलिस को आरसी लौटाने के भी आदेश दिए गए हैं।
Created On :   8 Feb 2021 5:30 PM IST