मूर्तिजापुर तहसील में तरबूज खेती की ओर रूझान, मधुमक्खी पालन के लिए लाभदायक

Trend towards watermelon cultivation in Murtijapur tehsil, beneficial for beekeeping
मूर्तिजापुर तहसील में तरबूज खेती की ओर रूझान, मधुमक्खी पालन के लिए लाभदायक
40 हेक्टेयर क्षेत्रों पर बुवाई मूर्तिजापुर तहसील में तरबूज खेती की ओर रूझान, मधुमक्खी पालन के लिए लाभदायक

डिजिटल डेस्क, मूर्तिजापुर. ज्यादातर नदी किनारे या रेतीले इलाके में तरबूज-खरबूज फल फसल ली जाती है। परंतु तहसील के कई किसानों ने यह फसल उपजाऊ जमीन पर लेने का प्रयोग इसके पूर्व किया है। इसमें से लाखों की आय भी हुई है। इसके पूर्व तहसील के 40 हेक्टेयर जमीन पर तरबूज फसल फसल की बुआई करने से इस फसल की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। परंतु इस फसल पर रोगों का प्रकोप होने से किसान हताश हो रहे हैं। तहसील में कपास, सोयाबीन, तुअर यह महत्वपूर्ण खरीफ फसल ली जाती है। रबी मौसम में गेहूं, चना मुख्य फसल ली जाती थी। परंतु अल्पावधि में आने वाले तरबूज फसल की बुआई कर किसानों ने लाखों रूपए का उत्पादन लेने का इतिहास है। इस पृष्ठभूमि पर मूर्तिजापुर तहसील में किसानों ने तरबूज खेती की ओर अपना रूझान बढ़ाया है। कम अवधि की फसल में आय भरपूर होती है। उसमें भींडी, मिरची, बैंगन जैसे सब्जीवर्गीय अंतर फसल का उत्पादन भी लिया जा सकता है। उसी के साथ ही मधुमक्षिका का पालन किया जा सकता है जिससे यह फसल किसानों के लिए किफायतशीर होने का अनुभव है। इस बगिया में मधुमक्षिका पालन कर पूरक खेती करने से फलमक्खी से लाभ तो होता है इसमें शहद से दोहरी आय मिलती है। यह फसल कम से कम तीन महीने की अवधि में ली जाती है। बुआई के पश्चात एक महीने के बाद इस फसल को फल लगना शुरू होते है। इस तरह तीन महीने तक उत्पादन मिलना शुरू रहता है। जिसके लिए कृषि विभाग की सलाह के अनुसार रोपाई करना आवश्यक है। जिसके लिए प्रति एकड़ 80 हजार से एक लाख रूपए तक का खर्च अपेक्षित है। इस रोपाई के लिए तहसील कृषि अधिकारी की सिफारिश के अनुसार मल्चिंग पेपर किसानों को महाडीबीटी की ओर से अनुदान प्राप्त होता है। परंतु शुरूआत की अवधि में तरबूज फसल पर अज्ञात रोग का प्रकोप होने से उत्पादन में घट होने का खौफ किसानों में व्यक्त किया जा रहा है। जिससे तरबूज उत्पादक किसान मौजूदा स्थिति में हताश नजर आ रहे हैं।

Created On :   9 Feb 2023 5:10 PM IST

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