हर्ष चौहान ने कहा - जनजातीय समाज बोझ नहीं, बल्कि एक संपदा है

Tribal society is not a burden but an asset: Harsh Chouhan
हर्ष चौहान ने कहा - जनजातीय समाज बोझ नहीं, बल्कि एक संपदा है
समाज के लिए कई योजनाएं हर्ष चौहान ने कहा - जनजातीय समाज बोझ नहीं, बल्कि एक संपदा है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने कहा है कि भारत में जनजातीय समाज की प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण स्थिति रही है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज बोझ नहीं, बल्कि एक संपदा है। इस समाज को लेकर और शोध की आवश्यकता है। चौहान ने यह बात आईआईटी, दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज एक मौन समाज है, वह शोर नहीं मचाता। लेकिन समस्या यह है कि चाहे नीति निर्माता हों या फिर तय नीतियों को क्रियान्वित करने वाले लोग, उन्हें जनजातीय समाज की बहुत कम जानकारी है। पहले अनुसूचित जाति और जनजाति का एक ही मंत्रालय था, जबकि दोनों समाज की समस्याएं अलग-अलग हैं। इस बात को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने समझा और अनुसूचित जनजाति समाज के लिए पृथक मंत्रालय का गठन किया। चौहान ने कहा कि वर्तमान सरकार ने इस समाज पर ध्यान दिया है और कई योजनाएं बनाई हैं। दरअसल आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से जनजाति समाज के नायकों को लेकर शोध करने के लिए कहा है, ताकि उन नायकों की कहानियां भी लोगों तक पहुंच सके। इसके साथ ही जनजातीय समाज से जुड़े विश्वविद्यालयों में शोध कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Created On :   25 July 2022 5:06 PM IST

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